गुमनाम सामग्री के खतरे दिखाने वाला फर्जी अकाउंट X ने हटाया, सुनवाई के दौरान सस्पेंड
कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान गुमनाम कंटेंट के खतरे दिखाने के लिए बनाए गए फर्जी सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक अकाउंट को X ने हटाया, सॉलिसिटर जनरल ने दी जानकारी।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अहम सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इंटरनेट पर गुमनाम सामग्री से जुड़े खतरों को उजागर किया। उन्होंने अदालत को बताया कि उनके कार्यालय ने एक काल्पनिक 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक' नामक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट बनाया था, जिसे X ने बिना वैध सत्यापन के ही टॉप कोर्ट की तस्वीर और आधिकारिक जैसे हैंडल के साथ वेरिफाई कर दिया।
यह कदम गुमनाम और भ्रामक ऑनलाइन कंटेंट के खतरे को उजागर करने के लिए उठाया गया था। सुनवाई के दौरान ही X ने इस अकाउंट को सस्पेंड कर दिया, जिससे अदालत में यह स्पष्ट हुआ कि सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी कितनी आसानी से फैलाई जा सकती है।
यह सुनवाई सहयोग पोर्टल (Sahyog Portal) के खिलाफ X द्वारा दाखिल याचिका पर हो रही थी, जिसमें X ने कुछ सरकारी निर्देशों को चुनौती दी थी। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत के समक्ष यह उदाहरण रखते हुए कहा कि ऐसे फर्जी अकाउंट, जो सरकारी संस्थाओं की तरह दिखते हैं, गंभीर भ्रम और गलत सूचना फैला सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की स्थितियां आम नागरिकों को धोखा देने के साथ-साथ लोकतांत्रिक संस्थानों की साख को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह उदाहरण अदालत के समक्ष इसलिए रखा गया ताकि गुमनाम और असत्यापित जानकारी पर लगाम लगाने के लिए कड़े नियमों की जरूरत को समझा जा सके।
यह मामला इंटरनेट और सोशल मीडिया के ज़रिए फर्जी जानकारी और डिजिटल धोखाधड़ी की गंभीरता को रेखांकित करता है।