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बढ़ते जलवायु संकट के बीच घर बीमा का महत्व: वित्तीय सुरक्षा के लिए अनिवार्य कदम

2025 में घर का बीमा अब विलासिता नहीं, बल्कि वित्तीय सुरक्षा की अनिवार्यता बन गया है, क्योंकि जलवायु जोखिम अब केवल संभावना नहीं, बल्कि वास्तविक खतरा बन चुका है।

साल 2025 में घर का बीमा अब महज़ एक विलासिता नहीं, बल्कि वित्तीय सुरक्षा का अनिवार्य साधन बन चुका है। पिछले कुछ वर्षों में आए विनाशकारी तूफान, बाढ़, जंगल की आग और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु जोखिम को अब केवल एक संभावित खतरे के रूप में नहीं देखा जा सकता।

घर बीमा न केवल आपकी संपत्ति को होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि यह अप्रत्याशित आर्थिक झटकों से भी बचाव करता है। जब जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है, तब बीमा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सहित कई देशों में अभी भी घर बीमा कवरेज में बड़ा अंतर है। खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में लोग अक्सर बीमा को खर्च के रूप में देखते हैं, निवेश के रूप में नहीं। नतीजतन, किसी आपदा के बाद वे वित्तीय रूप से बुरी तरह प्रभावित होते हैं और पुनर्निर्माण में वर्षों लग जाते हैं।

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बीमा उद्योग भी इस चुनौती से निपटने के लिए नए उत्पाद और नीतियां ला रहा है, जो जलवायु जोखिमों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म और आसान प्रीमियम भुगतान विकल्पों के माध्यम से इसे अधिक सुलभ बनाया जा रहा है।

सरकार और वित्तीय संस्थानों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि घर बीमा को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं और सब्सिडी या टैक्स छूट जैसी सुविधाएं दी जाएं।

आज की बदलती जलवायु परिस्थितियों में, घर बीमा केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि आपके और आपके परिवार की वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा की गारंटी है।

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