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आंतरिक शिकायत समिति कैसे काम करती है? बालासोर की घटना ने उठाए सवाल

ओडिशा के बालासोर में एक छात्रा की आत्मदाह की घटना ने आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या आंतरिक शिकायत समितियां यौन उत्पीड़न रोकने में सक्षम हैं? बालासोर की छात्रा की आत्महत्या ने खोली व्यवस्था की कमजोरियां

ओडिशा के बालासोर ज़िले के एक कॉलेज में एक युवा छात्रा द्वारा आत्मदाह करने की दुखद घटना ने देशभर के शैक्षणिक संस्थानों और कार्यस्थलों में यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए बनाए गए आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee - ICC) की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

छात्रा ने अपने विभागाध्यक्ष पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, लेकिन कॉलेज की ICC ने उसकी शिकायतों को “प्रमाणहीन” बताते हुए खारिज कर दिया। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि समिति के सदस्य न तो ठीक से प्रशिक्षित थे और न ही समिति का माहौल पीड़िता के लिए सुरक्षित या निष्पक्ष था।

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ICC का उद्देश्य और संरचना
2013 में बने यौन उत्पीड़न (रोकथाम, प्रतिषेध और निवारण) अधिनियम के तहत हर संस्थान और कार्यालय में ICC का गठन अनिवार्य है। इसमें एक महिला अध्यक्ष, दो सदस्य (जिनमें एक बाहरी विशेषज्ञ हो) और कर्मचारी प्रतिनिधि होते हैं। इसका उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना है।

वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
हालांकि यह कानून सशक्त दिखता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठते रहे हैं। कई ICC समितियों के सदस्य प्रशिक्षित नहीं होते, और शिकायतकर्ता अक्सर पूर्वाग्रह, दबाव और बदले की कार्रवाई का सामना करते हैं।

बालासोर की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून के बेहतर क्रियान्वयन, संवेदनशीलता और प्रशिक्षण के बिना पीड़ितों को न्याय दिलाना कठिन बना रहता है।

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