बीजेपी-आरएसएस शिक्षा और संस्थानों को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं: राहुल गांधी
राहुल गांधी ने बीजेपी-आरएसएस पर शिक्षा संस्थानों को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि अमेरिकी टैरिफ से भदोही का कालीन उद्योग तबाह हो रहा है, लेकिन सरकार निष्क्रिय है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार (26 दिसंबर 2025) को आरोप लगाया कि बीजेपी-आरएसएस मिलकर देश की शिक्षा व्यवस्था और संस्थानों को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा को स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है, जबकि संस्थानों का संचालन ज्ञान और विज्ञान से होना चाहिए, न कि किसी विचारधारा से।
राहुल गांधी ने कहा कि हाल ही में उन्होंने जन संसद में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) के छात्रों से मुलाकात की। छात्रों ने वही गंभीर चिंताएं दोहराईं, जो देश भर के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के छात्र और शिक्षक लगातार उठाते रहे हैं। राहुल गांधी के अनुसार, छात्रों ने बताया कि आईएसआई को धीरे-धीरे संस्थागत रूप से आरएसएस के नियंत्रण में लिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आईएसआई कोई सामान्य संस्थान नहीं है, बल्कि यह सांख्यिकी, गणित, अर्थशास्त्र, डेटा साइंस, कंप्यूटर साइंस और नीति निर्माण जैसे क्षेत्रों में उच्च स्तरीय शोध करता है और देश को विश्वस्तरीय विशेषज्ञ देता रहा है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जिन अकादमिक काउंसिलों का संचालन शिक्षाविदों को करना चाहिए, वहां अब नौकरशाही और वैचारिक हस्तक्षेप बढ़ गया है। पाठ्यक्रम और शोध को भी आरएसएस की विचारधारा से नियंत्रित किया जा रहा है।
उन्होंने इसे शिक्षा सुधार नहीं, बल्कि शिक्षा और संस्थानों को कमजोर करने की साजिश बताया, ताकि युवाओं का भविष्य अंधकार में धकेला जा सके और बाद में इन संस्थानों का निजीकरण या संपत्तियों की बिक्री की जा सके। राहुल गांधी ने कहा कि यह हमला केवल संस्थानों पर नहीं, बल्कि देश की बौद्धिक स्वतंत्रता, वैज्ञानिक सोच और युवाओं के भविष्य पर है।
राहुल गांधी ने बताया कि उन्होंने भदोही के बुनकरों से भी मुलाकात की, जिन्होंने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद की जमीनी सच्चाई बताई। उन्होंने कहा कि ‘ट्रंप के टैरिफ’ एक आर्थिक तूफान बन गए हैं, जिससे भदोही का कालीन उद्योग लगभग बर्बाद हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न तो विदेश नीति के स्तर पर और न ही किसी राष्ट्रीय योजना के तहत इस उद्योग को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। परिणामस्वरूप निर्यात घट रहा है और कारोबार बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों की ओर जा रहा है।
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