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सुप्रीम कोर्ट ने कहा: पारिवारिक पेंशन में 'माता' की परिभाषा में सौतेली मां को भी शामिल करें

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और वायुसेना से कहा कि पारिवारिक पेंशन जैसी सामाजिक योजनाओं में 'माता' की परिभाषा को उदार बनाकर सौतेली मां को भी लाभ देने की व्यवस्था करें।

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और वायुसेना से आग्रह: पारिवारिक पेंशन में सौतेली मां को भी मान्यता दें

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना (IAF) से आग्रह किया कि सामाजिक कल्याण योजनाओं, विशेषकर पारिवारिक पेंशन, में 'माता' शब्द की परिभाषा को उदार रूप से देखा जाए और सौतेली मां को भी इसके तहत लाभ देने की व्यवस्था की जाए।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति एस.वी. भट की पीठ ने कहा कि समाज में बदले हुए पारिवारिक ढांचे और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सौतेली मां को वंचित रखना अन्यायपूर्ण है। अदालत ने यह भी कहा कि कल्याणकारी कानूनों की व्याख्या करते समय मानवीय दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है और इनका उद्देश्य ही यह सुनिश्चित करना होता है कि ज़रूरतमंदों को सहायता मिले।

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मामले में एक वायुसेना कर्मी की मृत्यु के बाद उसकी सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन देने से इनकार किया गया था, जिसके बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंची। केंद्र और वायुसेना ने पेंशन नियमों का हवाला देते हुए सौतेली मां को 'माता' की परिभाषा से बाहर बताया।

हालांकि, अदालत ने कहा कि जब सौतेली मां ने बच्चे की देखभाल की हो या मृत कर्मी के परिवार का हिस्सा रही हो, तो उसे पेंशन से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

अंत में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस संबंध में पुनर्विचार करने का निर्देश दिया और उम्मीद जताई कि सरकार इस पर सकारात्मक निर्णय लेगी।

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