वरिष्ठ लेखक और लोकविद् मोगल्ली गणेश का 64 वर्ष की आयु में निधन
कन्नड़ साहित्यकार और लोकविद् मोगल्ली गणेश का 64 वर्ष की आयु में निधन। उन्होंने कन्नड़ विश्वविद्यालय, हम्पी में 28 वर्षों तक लोक अध्ययन विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
कर्नाटक के प्रसिद्ध साहित्यकार, लोकविद् और प्रोफेसर मोगल्ली गणेश का शनिवार को 64 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे कन्नड़ साहित्य और लोक संस्कृति के गहरे अध्येता थे और उन्होंने अपने जीवन के लगभग तीन दशकों को लोक परंपराओं के अध्ययन और प्रचार-प्रसार में समर्पित किया।
मोगल्ली गणेश लंबे समय तक हम्पी स्थित कन्नड़ विश्वविद्यालय के लोक अध्ययन विभाग (Department of Folklore Studies) में प्रोफेसर रहे। उन्होंने लगभग 28 वर्षों तक शिक्षण कार्य किया और अनेक छात्रों को लोककला, लोककथाओं तथा लोकगीतों की जड़ों से जोड़ने का कार्य किया। इसके अलावा वे कर्नाटक फोकलोर यूनिवर्सिटी, शिवगावी (जिला हावेरी) के सिंडिकेट सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहे थे।
गणेश ने लोकसंस्कृति, जनकथाओं और परंपरागत गीतों पर कई महत्वपूर्ण शोध-पत्र और पुस्तकें लिखीं। उनके लेखन में लोकजीवन की सादगी, ग्रामीण संवेदना और सांस्कृतिक विरासत की झलक मिलती थी। वे न केवल एक विद्वान शिक्षक थे बल्कि एक लोकप्रिय वक्ता भी थे, जिन्होंने लोककला को अकादमिक दायरे से बाहर आम लोगों तक पहुंचाया।
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उनके निधन से कर्नाटक की साहित्यिक और शैक्षणिक दुनिया में गहरा शोक व्याप्त है। कई साहित्यकारों, शिक्षाविदों और छात्रों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मोगल्ली गणेश ने लोक अध्ययन को नई पहचान और सम्मान दिलाया।
राज्य सरकार और विश्वविद्यालय समुदाय ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका निधन कन्नड़ साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
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