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शरद पवार ने सत्यमार्ग मोर्चा की तुलना संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन से की, कहा- लोकतंत्र बचाने के लिए फिर एकजुट हों

शरद पवार ने मुंबई में विपक्ष की रैली की तुलना संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन से की। उन्होंने लोकतंत्र बचाने का आह्वान किया और महाराष्ट्र के निर्माण संघर्ष को याद किया।

एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने मुंबई में विपक्ष द्वारा आयोजित सत्याग्रह मोर्चा’ की तुलना ऐतिहासिक संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन से की। उन्होंने कहा कि यह रैली उन्हें उस दौर की याद दिलाती है जब सभी राजनीतिक विचारधाराएं एकजुट होकर महाराष्ट्र राज्य के गठन की मांग के लिए खड़ी हुई थीं।

शनिवार को मुंबई में आयोजित विशाल रैली को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, “हमें लोकतंत्र बचाने के लिए एक साथ आना होगा। आज का यह मार्च हमें 1950 के दशक की याद दिलाता है, जब महाराष्ट्र के गठन की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतरे थे।” उन्होंने बताया कि आंदोलन की शुरुआत मुंबई के काला घोड़ा क्षेत्र से हुई थी, जो मौजूदा स्थल के पास ही है।

संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन (1956–1960) एक ऐतिहासिक जनआंदोलन था, जिसने वर्तमान महाराष्ट्र राज्य के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। इस आंदोलन में कोई एक नेता नहीं था, बल्कि यह सामूहिक नेतृत्व वाला अभियान था जिसमें श्रीपाद अमृत डांगे, एस.एम. जोशी, आचार्य अत्रे, केशव सीताराम ठाकरे और पांडुरंग बापट जैसे नेता शामिल थे।

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महाराष्ट्र का गठन 1 मई 1960 को हुआ। आंदोलन के दौरान मुंबई को लेकर महाराष्ट्र और गुजरात के बीच बड़ा विवाद हुआ था। अंततः तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने महाराष्ट्र की मांग स्वीकार की। आंदोलन के दौरान 106 लोगों की मौत हुई थी, जिनकी स्मृति में हुतात्मा चौक बनाया गया।

हालांकि पवार ने माना कि वर्तमान ‘सत्याग्रह मोर्चा’ और संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के उद्देश्य भिन्न हैं। आज का आंदोलन लोकतंत्र, संविधान और मताधिकार की रक्षा के लिए है, जबकि तब यह राज्य के अस्तित्व की लड़ाई थी।

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