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विपरीत दिशाओं में: एआईएडीएमके और भाजपा के संबंधों में दरार

एआईएडीएमके और भाजपा के बीच राजनीतिक मतभेद गहराते जा रहे हैं। तमिलनाडु की राजनीति में दोनों दल अब अलग रास्तों पर चलते दिख रहे हैं, गठबंधन टूटने के संकेत स्पष्ट हैं।

तमिलनाडु की राजनीति में कभी सहयोगी रहे अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब अलग-अलग रास्तों पर चलते नजर आ रहे हैं। दोनों दलों के बीच हाल के महीनों में बढ़ते मतभेद अब सार्वजनिक रूप ले चुके हैं, और गठबंधन में दरार साफ दिखाई दे रही है।

एआईएडीएमके, जिसने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन किया था, अब भाजपा की कार्यशैली और नेतृत्व के प्रति नाराजगी जता रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा राज्य की क्षेत्रीय राजनीति को समझने में विफल रही है और उसने तमिलनाडु की सांस्कृतिक और राजनीतिक संवेदनशीलताओं की अनदेखी की है।

दूसरी ओर, भाजपा तमिलनाडु में अपनी स्वतंत्र राजनीतिक जमीन बनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी का नेतृत्व अब स्पष्ट रूप से अधिक आक्रामक रुख अपना रहा है और राज्य में हिंदुत्व आधारित राजनीति को बढ़ावा देने की रणनीति पर काम कर रहा है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह अलगाव केवल विचारधारा का परिणाम नहीं है, बल्कि रणनीतिक दबावों और नेतृत्व के टकराव का भी परिणाम है। एआईएडीएमके अब खुद को भाजपा से अलग दिखाकर राज्य की क्षेत्रीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।

यह स्थिति आने वाले लोकसभा चुनावों में तमिलनाडु के राजनीतिक समीकरणों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। जहां भाजपा राज्य में पैर जमाने की कोशिश कर रही है, वहीं एआईएडीएमके खुद को एक स्वतंत्र और मजबूत क्षेत्रीय विकल्प के रूप में पेश करने में जुटी है।

 
 
 
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