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बंगाल चुनाव 2026 से पहले बीजेपी का मुस्लिम समुदाय की ओर नया रुख: क्यों बदली रणनीति?

बीजेपी ने बंगाल में 2026 चुनाव से पहले मुस्लिम वोटरों तक पहुंच बढ़ाने के लिए नरम रुख अपनाया है, “राष्ट्रवादी मुसलमानों” को साथ जोड़ने की नई रणनीति बनाई जा रही है।

पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत के बाद पार्टी अब बंगाल में मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है। यह बदलाव इसलिए भी अहम है क्योंकि कुछ महीने पहले तक बीजेपी ने चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर कड़ा रुख अपनाया था, जिसमें पार्टी का दावा था कि यह प्रक्रिया “घुसपैठियों” को चिन्हित करने में मदद करेगी, खासकर बांग्लादेश से होने वाली अवैध घुसपैठ को रोकने में। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इस प्रक्रिया के दौरान मुसलमानों को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है।

अब जब चुनाव आयोग अन्य राज्यों, जिसमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, में SIR प्रक्रिया चला रहा है, तो बंगाल बीजेपी ने अपने रुख को नरम करते हुए कहा है कि पार्टी “राष्ट्रवादी मुसलमानों” के खिलाफ नहीं है। पार्टी के अनुसार, ऐसे मुसलमान जो राष्ट्रीय हितों और राष्ट्रवाद में विश्वास रखते हैं, उन्हें बीजेपी का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।

बंगाल बीजेपी का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खिलाफ कई अल्पसंख्यक समुदायों में असंतोष है, और ऐसे वोटरों से जुड़ने के लिए पार्टी नए स्तर पर संवाद की रणनीति अपना रही है। पार्टी का दावा है कि टीएमसी के ‘तुष्टिकरण मॉडल’ से परेशान कई मुसलमान अब विकास और सुरक्षा के मुद्दों पर बीजेपी की ओर रुख कर सकते हैं।

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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बंगाल में मुस्लिम वोट 27-30% तक के हैं और बीजेपी का यह नया रुख 2026 चुनाव में उसकी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश है। यह बदलाव पार्टी के लिए एक राजनीतिक प्रयोग भी माना जा रहा है, जिसके नतीजे आगामी चुनाव में देखने को मिलेंगे।

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