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निपाह वायरस पर नियंत्रण के लिए ICMR ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करने हेतु आमंत्रित किए प्रस्ताव

ICMR ने निपाह वायरस के खिलाफ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करने के लिए कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं, ताकि देश में बार-बार होने वाले प्रकोपों से निपटने की तैयारी मजबूत हो।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने निपाह वायरस (Nipah Virus) के खिलाफ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) विकसित करने और उत्पादन के लिए पात्र संगठनों, कंपनियों और निर्माताओं से इंटरेस्ट एक्सप्रेशन (EoI) आमंत्रित किए हैं।

ICMR का यह कदम देश में बार-बार होने वाले निपाह प्रकोपों से निपटने के लिए स्वदेशी तैयारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

निपाह वायरस (NiV) एक प्रमुख ज़ूनोटिक (पशु से मानव में फैलने वाला) खतरा बनकर उभरा है। भारत में 2001 से अब तक कई बार इस वायरस के प्रकोप दर्ज किए गए हैं। इस वायरस की मृत्युदर 40% से 75% के बीच होती है, जो चिकित्सकीय देखभाल के स्तर पर निर्भर करती है।

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भारत और बांग्लादेश में प्रचलित बांग्लादेश क्लेड (NiV-B) वायरस अधिक मानव-से-मानव संक्रमण और उच्च मृत्यु दर के लिए जाना जाता है।

ICMR का उद्देश्य ऐसे स्वदेशी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करना है जो संक्रमण के शुरुआती चरणों में ही वायरस को निष्क्रिय कर सकें, जिससे जीवन बचाया जा सके और प्रकोपों को रोका जा सके।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस दिशा में की गई प्रगति भारत को भविष्य में तेज़ और प्रभावी प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करने में मदद करेगी, जिससे निपाह जैसे घातक वायरसों से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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