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जमीयत प्रमुख का सुप्रीम कोर्ट पर आरोप, BJP का तीखा जवाब

मौलाना मदनी द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाने पर BJP ने कड़ा विरोध जताया। दोनों पक्षों में बयानबाज़ी से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के बयान के बाद शनिवार को बड़ा राजनीतिक विवाद छिड़ गया। मध्य प्रदेश के भोपाल में संगठन की गवर्निंग बॉडी की बैठक को संबोधित करते हुए मदनी ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट “सरकारी दबाव में काम कर रहा है” और कहा कि यदि शीर्ष अदालत संविधान को पूर्ण रूप से लागू नहीं कर पाती, तो “यह सुप्रीम कहलाने की हकदार नहीं है।”

सैकड़ों प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मदनी ने दावा किया कि देश में “इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिशें” तेज हो गई हैं। उन्होंने कहा कि जिहाद की पवित्र इस्लामी अवधारणा को “जानबूझकर आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है।” उन्होंने कहा, “लव जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद जैसे शब्द केवल मुसलमानों को बदनाम करने के लिए गढ़े गए हैं। इस्लाम में जिहाद का अर्थ अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष है।”

मदनी ने आरोप लगाया कि मुसलमानों को उनके “धार्मिक पहनावे, पहचान और जीवनशैली” के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है, और समान नागरिक अधिकारों के बावजूद शिक्षा, रोजगार और सामाजिक गतिशीलता में “बढ़ती बाधाओं” का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई, मॉब लिंचिंग, आर्थिक बहिष्कार और नफ़रती अभियानों को मुसलमानों में फैलाई जा रही असुरक्षा का उदाहरण बताया। उन्होंने दावा किया कि धर्मांतरण कानूनों ने “नमाज़ पढ़ने और शिक्षा देने” जैसी गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में ला दिया है।

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उन्होंने वक्फ संपत्तियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध किया और कहा कि यह मुसलमानों द्वारा बनाई गई ट्रस्ट है, जिसमें दखल “बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” मदनी ने चेतावनी दी कि मौजूदा माहौल “खतरनाक” है और अगर बहुसंख्यक चुप रहे तो “नफ़रत फैलाने वालों के प्रभाव में आ सकते हैं”, जिससे राष्ट्रीय एकता को खतरा होगा।

मदनी के बयानों पर BJP ने तीखा पलटवार किया।
मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि संविधान और सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी “दुर्भाग्यपूर्ण” है और मदनी “बहुत समय से सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं।” BJP विधायक रमेश्वर शर्मा ने बाबरनामा और अकबरनामा का हवाला देते हुए कहा कि यदि अदालतें मंदिरों को बहाल करती हैं तो इसमें “गलत क्या है।” उन्होंने कहा कि इस्लाम को बदनाम होने से बचाना है तो “बच्चों को लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसी गतिविधियों से दूर रहने की शिक्षा दें।”

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