बिहार में 36.86 लाख वोटर गायब, 12.71 लाख मृतक; चुनाव आयोग की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया में खुलासा
बिहार में चुनाव आयोग की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान 36.86 लाख वोटर अपने पते पर नहीं मिले। इनमें मृतक, स्थायी रूप से बाहर गए, और डुप्लीकेट नाम शामिल हैं। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान 36.86 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पते पर नहीं पाए गए। शुक्रवार को आयोग ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के कुल 7.90 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से लगभग 1.61% यानी 12.71 लाख मतदाता मृत प्रतीत होते हैं, जबकि 2.3% यानी 18.16 लाख मतदाता स्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं।
इसके अतिरिक्त, 0.75% से कम यानी 5.92 लाख मतदाताओं के नाम कई जगह दर्ज हैं और 6,978 मतदाता किसी भी पते पर नहीं मिल पाए हैं।
अब तक आयोग ने 7.11 करोड़ नामांकन फॉर्म एकत्र किए हैं, जो राज्य के करीब 90% पंजीकृत मतदाताओं को कवर करते हैं। इन गायब मतदाताओं को मिलाकर चुनाव आयोग अब तक कुल 95% मतदाताओं तक पहुंच बना चुका है। वर्तमान में केवल 5% यानी 41.10 लाख फॉर्म अभी भी एकत्र किए जाने बाकी हैं।
गायब मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी
सप्ताह की शुरुआत में यह संख्या 35.69 लाख बताई गई थी, जो अब बढ़कर 36.86 लाख हो चुकी है। सोमवार तक के आंकड़ों में 12.55 लाख मृतक (1.59%), 17.37 लाख स्थायी रूप से बाहर गए (2.2%) और 5.76 लाख डुप्लीकेट नामांकन (0.73%) शामिल थे। जैसे-जैसे अभियान अपने अंतिम चरण में पहुंच रहा है, यह संख्या और बढ़ सकती है।
राजनीतिक दलों को दी जाएगी सूची
जिन मतदाताओं के बारे में अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है, या जिनसे फॉर्म नहीं मिल पाया है, उनकी सूची जिलों के राजनीतिक दलों के अध्यक्षों और उनके द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बूथ स्तर एजेंट्स (BLA) को सौंपी जाएगी।
आयोग ने स्पष्ट किया कि हर BLA प्रतिदिन अधिकतम 50 सत्यापित फॉर्म जमा कर सकता है। यह कदम सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से बाहर न रह जाए।
समय पर हो रहा कार्य: आयोग
चुनाव आयोग ने बताया कि 1 अगस्त को राज्य की प्रारंभिक मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी, जिसके बाद एक महीने तक सुझाव और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकेंगी।
प्रारूप मतदाता सूची की प्रिंट और डिजिटल कॉपियां मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मुफ्त में दी जाएंगी और ईसीआई की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होंगी। आयोग ने भरोसा दिलाया कि कोई भी योग्य मतदाता छूटेगा नहीं।
अब तक 87% यानी 6.85 करोड़ फॉर्म डिजिटल माध्यम में दर्ज किए जा चुके हैं। 25 सितंबर तक सभी दावे और आपत्तियां निपटाने के बाद अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
अगर किसी मतदाता को ईआरओ (Electoral Registration Officer) के निर्णय से आपत्ति है, तो वह जिलाधिकारी या मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास अपील कर सकता है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है, ऐसे में चुनाव अक्टूबर-नवंबर में कराए जाने की संभावना है।