शिवसेना (यूबीटी) में टिकट को लेकर पारिवारिक दावेदारी तेज, पार्टी बोली—कामकाज के आधार पर होगा फैसला
शिवसेना (यूबीटी) में कई नेता अपने परिजनों के लिए टिकट मांग रहे हैं। पार्टी का कहना है कि उम्मीदवारों का चयन उनके काम और योग्यता के आधार पर होगा।
आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बीच औपचारिक गठबंधन की घोषणा के एक दिन बाद ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी में टिकटों को लेकर हलचल तेज हो गई है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने परिजनों के लिए टिकट की मांग शुरू कर दी है। यह गतिविधि न केवल मुंबई में, बल्कि राज्य के अन्य शहरों में भी देखी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, करीब आधा दर्जन नेताओं के परिजन पार्टी नेतृत्व से संपर्क कर चुके हैं और टिकट के लिए आवेदन दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इनमें से अधिकांश को टिकट दिए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, हालांकि अंतिम फैसला उम्मीदवारों के राजनीतिक और संगठनात्मक कामकाज को देखते हुए लिया जाएगा।
मुंबई में स्थिति और भी दिलचस्प है, जहां शिवसेना (यूबीटी) के कई वरिष्ठ नेताओं—जिनमें वर्तमान सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) शामिल हैं—के रिश्तेदारों ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव के लिए टिकट की मांग की है। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर चर्चा है कि क्या पारिवारिक पृष्ठभूमि को प्राथमिकता दी जाए या जमीनी स्तर पर किए गए काम को।
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पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि शिवसेना (यूबीटी) का आधिकारिक रुख स्पष्ट है कि टिकट वितरण में योग्यता, संगठन के लिए किया गया काम और क्षेत्र में सक्रियता को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, गठबंधन की राजनीति और चुनावी गणित के बीच नेतृत्व पर दबाव भी बढ़ रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि MNS के साथ गठबंधन के बाद सीटों का बंटवारा पहले ही एक जटिल प्रक्रिया बन चुका है। ऐसे में अगर पारिवारिक दावेदारियों को ज्यादा महत्व दिया गया, तो यह पार्टी के भीतर असंतोष को भी जन्म दे सकता है। आने वाले दिनों में टिकट वितरण को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के भीतर और चर्चाएं तेज होने की संभावना है।
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