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एसआईआर के खिलाफ आंदोलन ने तृणमूल और कांग्रेस को दिया साझा मंच

एसआईआर के खिलाफ आंदोलन ने तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस को करीब लाया। राहुल गांधी की डिनर बैठक में दोनों दलों ने रिश्तों में नया अध्याय शुरू करने के संकेत दिए।

विशेष निवेश क्षेत्र (Special Investment Region - SIR) के खिलाफ जारी आंदोलन तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के लिए एक साझा मंच साबित हो रहा है। तृणमूल कांग्रेस लंबे समय से यह कहती रही है कि वह ‘इंडिया’ गठबंधन में एकमात्र ऐसा दल है, जिसकी कांग्रेस के साथ कोई औपचारिक चुनावी साझेदारी नहीं है। लेकिन हाल के घटनाक्रम ने इस समीकरण में बदलाव के संकेत दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा आयोजित एक डिनर बैठक में तृणमूल और कांग्रेस नेताओं के बीच सकारात्मक माहौल देखने को मिला। इस बैठक में दोनों पक्षों ने राजनीतिक मतभेदों से परे जाकर साझा मुद्दों पर बातचीत की और एक-दूसरे के रुख को समझने की कोशिश की। यह घटना ऐसे समय हुई है जब पश्चिम बंगाल में एसआईआर के विरोध ने तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक साथ खड़ा किया है।

तृणमूल कांग्रेस ने कई मौकों पर कहा है कि वह बंगाल में अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखना चाहती है और कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन करने के बजाय मुद्दा-आधारित सहयोग को प्राथमिकता देती है। वहीं, कांग्रेस का मानना है कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाने के लिए सभी विपक्षी दलों का सहयोग जरूरी है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एसआईआर विरोध आंदोलन दोनों पार्टियों के लिए एक परीक्षण की तरह है, जिसमें वे यह देख रही हैं कि क्या साझा जनहित के मुद्दे उन्हें एक मंच पर ला सकते हैं। अगर यह तालमेल आगे भी कायम रहा, तो 2026 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव में बंगाल की राजनीति में इसका असर दिख सकता है।

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