आतंकियों की नई रणनीति: सुरक्षित घरों से जंगलों के भूमिगत बंकरों तक
जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों ने सुरक्षित घरों के बजाय जंगलों में भूमिगत बंकर बनाने शुरू किए हैं। यह नई रणनीति सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बन रही है।
जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पहले जहाँ वे सुरक्षित घरों और दूरस्थ ठिकानों पर छिपते थे, अब वे जंगलों के भीतर भूमिगत बंकर बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। यह नई रणनीति सुरक्षा बलों के लिए एक नई चुनौती बन गई है।
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी घने जंगलों और दुर्गम इलाकों में भूमिगत ठिकाने तैयार कर रहे हैं। इन बंकरों का उपयोग न केवल छिपने के लिए, बल्कि हथियार और गोला-बारूद सुरक्षित रखने के लिए भी किया जा रहा है। सुरक्षा बलों का मानना है कि यह बदलाव उनके खिलाफ चल रहे सघन ऑपरेशनों का परिणाम है, जिनकी वजह से आतंकियों के लिए पारंपरिक सुरक्षित घरों में ठहरना मुश्किल हो गया है।
सूत्रों का कहना है कि इन बंकरों की संरचना इस तरह बनाई जा रही है कि वे थर्मल इमेजिंग और ड्रोन निगरानी से बच सकें। इससे सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों की गतिविधियों का पता लगाने में कठिनाई हो रही है। हालांकि, सेना और पुलिस ने संयुक्त रूप से नई रणनीतियाँ बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि इन भूमिगत ठिकानों का पता लगाया जा सके और उन्हें ध्वस्त किया जा सके।
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विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकियों की यह चाल इस बात का संकेत है कि वे लंबे समय तक संघर्ष को जारी रखने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, सुरक्षा बलों का दावा है कि चाहे रणनीति कितनी भी बदली जाए, आतंकवाद पर सख्ती से कार्रवाई जारी रहेगी और हर नये ठिकाने को खत्म किया जाएगा।
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