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विशाखापट्टनम स्टील प्लांट का निजीकरण हुआ तो इतिहास नायडू को वचनबद्ध नेता नहीं मानेगा: सीपीआई नेता

सीपीआई नेता ने चेतावनी दी कि अगर विशाखापट्टनम स्टील प्लांट का निजीकरण हुआ तो इतिहास नायडू को वचनबद्ध नेता नहीं मानेगा। टीडीपी चाहे तो केंद्र का फैसला रुक सकता है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अगर विशाखापट्टनम स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाता है, तो इतिहास आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को कभी भी अपने वचन का पक्का नेता नहीं मानेगा। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक उद्योग का नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश की जनता की भावनाओं और रोजगार से जुड़ा हुआ है।

सीपीआई नेता ने याद दिलाया कि नायडू ने चुनाव प्रचार के दौरान स्टील प्लांट को निजी हाथों में जाने से रोकने का वादा किया था। यदि अब वह इस मुद्दे पर चुप रहते हैं, तो जनता उन्हें अविश्वसनीय मान लेगी।

उन्होंने यह भी इंगित किया कि मौजूदा समय में केंद्र सरकार तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के समर्थन पर निर्भर है। ऐसे में अगर टीडीपी एनडीए से अपना समर्थन वापस ले ले, तो केंद्र सरकार को मजबूर होकर स्टील प्लांट के निजीकरण का निर्णय रद्द करना पड़ेगा।

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सीपीआई नेता का कहना है कि यह समय नायडू के लिए अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता साबित करने का है। उन्होंने आह्वान किया कि नायडू को केंद्र पर दबाव बनाना चाहिए और निजीकरण की प्रक्रिया को रोकना चाहिए, क्योंकि यह प्रदेश के हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों के भविष्य से जुड़ा हुआ है।

इस बयान से राज्य की राजनीति में नया तनाव पैदा हो गया है। विपक्षी दल और श्रमिक संगठनों ने भी स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध किया है और चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया, तो बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

अब देखना यह है कि नायडू इस मुद्दे पर जनता के साथ खड़े होते हैं या केंद्र सरकार के निर्णय का समर्थन करते हैं।

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