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नाबालिग भी अब वयस्कों की तरह पाएंगे अग्रिम जमानत: कलकत्ता हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि नाबालिग आरोपी अब वयस्कों की तरह अग्रिम जमानत का अधिकार पा सकेंगे। यह निर्णय बहुमत से पारित हुआ और इसे कानूनी रूप से महत्वपूर्ण माना गया है।

कलकत्ता हाई कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसके तहत अब किसी भी अपराध के आरोपी नाबालिगों को भी वयस्कों की तरह अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) का अधिकार मिलेगा। अब तक यह अधिकार सिर्फ वयस्क आरोपियों को ही प्राप्त था, जबकि नाबालिगों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता, न्यायमूर्ति तिर्थंकर घोष और न्यायमूर्ति बिवास पटनायक की विशेष पीठ ने यह निर्णय देते हुए कहा कि नाबालिगों पर लागू कानूनी प्रक्रियाओं में यह बदलाव आवश्यक है। अदालत की यह पीठ देश की किसी भी हाई कोर्ट की पहली पीठ है जिसने ऐसा निर्णय दिया है, जिसे कानूनी जगत में ऐतिहासिक माना जा रहा है।

पहले, किसी भी अपराध में आरोपी नाबालिग को जमानत देने का निर्णय सिर्फ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड लेता था। लेकिन बोर्ड के पास अग्रिम जमानत देने का अधिकार नहीं था। इस फैसले के बाद नाबालिग आरोपी गिरफ्तारी से पहले ही अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकेंगे।

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हालांकि यह फैसला सर्वसम्मति से नहीं आया। जहां न्यायमूर्ति सेनगुप्ता और न्यायमूर्ति घोष ने नाबालिगों को अग्रिम जमानत का अधिकार देने के पक्ष में राय दी, वहीं न्यायमूर्ति पटनायक इसके खिलाफ थे। लेकिन बहुमत के आधार पर यह ऐतिहासिक आदेश पारित हो गया।

बहुमत वाले निर्णय में कहा गया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) सभी नागरिकों के लिए समान है, जिसमें नाबालिग भी शामिल हैं। इसलिए उन्हें भी बड़े नागरिकों की तरह अग्रिम जमानत का समान अधिकार मिलना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट गिरफ्तारी के बाद की प्रक्रिया तो बताता है, लेकिन गिरफ्तारी से पहले की कानूनी प्रक्रिया पर स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं देता। इसलिए यह बदलाव आवश्यक है।

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