2014 के युग गुप्ता अपहरण–हत्या मामले में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ परिजन ने बहिष्कार किया, दोषियों को फाँसी की मांग की
2014 के युग गुप्ता अपहरण–हत्या मामले में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ परिजन ने आंखों पर पट्टी बांधकर विरोध किया और दोषियों को फाँसी देने की मांग की।
25 सितंबर को युग गुप्ता अपहरण और हत्या मामले के उच्च न्यायालय (HC) के फैसले के खिलाफ परिजन और पीड़ित परिवार ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान परिजनों ने आंखों पर पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया और दोषियों को फाँसी की सजा देने की मांग की।
2014 में हुए इस मामले में युग गुप्ता का अपहरण किया गया और बाद में उनकी हत्या कर दी गई थी। मामले में दोषियों को पहले ही सजा सुनाई गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय के हालिया फैसले ने परिजनों को संतुष्ट नहीं किया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का निर्णय न्यायपूर्ण नहीं है और दोषियों को कठोरतम दंड मिलना चाहिए।
परिजन और प्रदर्शनकारी अदालत के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए विभिन्न नारों और बैनरों के साथ न्यायिक परिसर के बाहर इकट्ठा हुए। उन्होंने कहा कि दोषियों की फाँसी ही न्याय की पूर्णता सुनिश्चित कर सकती है और भविष्य में इस तरह के अपराधों को रोकने में मदद करेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली में अपहरण और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के खिलाफ संवेदनशीलता और न्यायिक जवाबदेही को उजागर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि परिवारों का यह प्रदर्शन न्याय की मांग को लेकर सामाजिक और नैतिक दबाव डालता है।
अदालत ने अब मामले की आगे की सुनवाई और संभावित पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गंभीर अपराधों के मामलों में न्याय सुनिश्चित करना कितना जटिल और संवेदनशील कार्य होता है।
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