ऑस्ट्रेलियाई ऊर्जा मंत्री ब्राज़ील में COP30 शिखर सम्मेलन में COP31 की मेजबानी के लिए जोर लगाएंगे
ऑस्ट्रेलियाई ऊर्जा मंत्री क्रिस बोवेन COP30 में भाग लेकर COP31 की मेजबानी के लिए ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में समर्थन जुटाएंगे। तुर्की के साथ मेजबानी को लेकर गतिरोध जारी है।
ऑस्ट्रेलिया के ऊर्जा मंत्री क्रिस बोवेन ने शनिवार (15 नवंबर 2025) को कहा कि वे ब्राज़ील में होने वाले COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं, जहां वे ऑस्ट्रेलिया की ओर से अगले वर्ष होने वाले COP31 सम्मेलन की मेजबानी के लिए जोर देंगे। इस दौरे का उद्देश्य तुर्की के साथ चल रहे गतिरोध के बीच मेजबानी का मामला आगे बढ़ाना है, क्योंकि दोनों देशों ने 2022 में मेजबानी के लिए बोली लगाई थी और तब से कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन को एक पत्र लिखकर इस लंबे विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। बोवेन ने कहा कि COP31 की मेजबानी पर अंतिम निर्णय COP30 में ही लिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि “अगले साल का COP सम्मेलन आयोजित करने के लिए दुनिया का व्यापक समर्थन ऑस्ट्रेलिया को प्राप्त है।”
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वे अमेज़न के बेलें शहर में होने वाले इस सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया की मजबूत स्वच्छ ऊर्जा क्षमताओं को भी प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया प्रशांत द्वीप देशों के साथ मिलकर पहली बार COP सम्मेलन की मेजबानी करना चाहता है और यह दिखाना चाहता है कि जलवायु परिवर्तन जैसे ‘अस्तित्वगत खतरे’ का सामना मिलकर कैसे किया जा सकता है।
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बोवेन ने कहा, “हमारे देश के लिए जलवायु परिवर्तन बड़ा खतरा है, लेकिन आज किए गए प्रयास आने वाले समय में सबसे बुरे प्रभावों को टाल सकते हैं।” प्रशांत द्वीप समूह फोरम के 18 देशों का समूह ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी का समर्थन कर रहा है। कई प्रशांत द्वीप समुद्र-स्तर में बढ़ोतरी की चपेट में हैं।
ऑस्ट्रेलिया खुद को “नवीकरणीय ऊर्जा महाशक्ति” बनाने पर काम कर रहा है और धीरे-धीरे कोयला तथा गैस ऊर्जा से दूरी बनाकर हरित इस्पात, बैटरी, महत्वपूर्ण खनिज और संक्रमण प्रौद्योगिकियों में निवेश को बढ़ावा दे रहा है।
दूसरी तरफ, तुर्की का कहना है कि वह एक ऐसे COP की मेजबानी चाहता है जिसमें विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त पर अधिक ध्यान दिया जाए और 2053 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में उसकी प्रगति को प्रदर्शित किया जा सके। समय के साथ COP शिखर सम्मेलन केवल कूटनीतिक मंच न रहकर बड़े वैश्विक व्यापार और जलवायु निवेश आयोजनों में बदल गए हैं।
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