ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को मान्यता दी, इज़राइल पर बढ़ा दबाव
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को मान्यता दी। इससे इज़राइल पर दबाव बढ़ा है। अब्बास ने इसे शांति की दिशा में अहम बताया, जबकि नेतन्याहू ने इसे आतंकवाद का इनाम कहा।
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी। यह कदम ऐसे समय आया है जब गाज़ा में इज़राइल की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ वैश्विक आलोचना लगातार बढ़ रही है।
इन तीनों देशों ने, जो दशकों से इज़राइल के करीबी सहयोगी माने जाते रहे हैं, दो-राज्य समाधान की दिशा में प्रगति न होने पर गहरी निराशा भी व्यक्त की। बाद में पुर्तगाल ने भी फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की और कहा कि दो-राज्य समाधान ही स्थायी शांति का रास्ता है।
फ्रांस और अन्य यूरोपीय देश भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस सप्ताह फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले हैं। इससे इज़राइल की अंतरराष्ट्रीय अलगाव की स्थिति और गहरी हो सकती है। जवाब में इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कहा कि “फिलिस्तीनी राज्य कभी नहीं बनेगा।”
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नेतन्याहू ने इन देशों पर आतंकवाद को इनाम देने का आरोप लगाया। इज़राइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने भी आलोचना करते हुए कहा कि यह निर्णय किसी बंधक को मुक्त नहीं करेगा और न ही वास्तविक शांति की दिशा में मददगार होगा।
दूसरी ओर, कनाडाई अधिकारियों ने कहा कि उनका कदम शांति चाहने वाले फिलिस्तीनी पक्ष को मज़बूत करने और हमास को हाशिये पर धकेलने के लिए है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि यह कदम मध्य पूर्व में शांति की संभावना को जीवित रखने के लिए है।
फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस घोषणा को स्थायी शांति की ओर “जरूरी कदम” बताया। वहीं हमास ने इसे सकारात्मक कदम माना, हालांकि “व्यावहारिक उपाय” की मांग की।
संयुक्त राष्ट्र के 140 से अधिक देश पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। कनाडा और ब्रिटेन पहले जी7 देश हैं जिन्होंने यह कदम उठाया है, जबकि जापान, जर्मनी और इटली इसके खिलाफ हैं।
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