गिनी में जनमत संग्रह: राष्ट्रपति बनने का रास्ता बना सकता है तख्तापलट नेता
गिनी में जनमत संग्रह आयोजित हुआ, जो तख्तापलट नेता को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने का अवसर दे सकता है। आलोचकों का कहना है कि यह सैन्य शासन की वैधता का प्रयास है।
गिनी में एक अहम जनमत संग्रह आयोजित किया गया है, जिसे लेकर देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहन बहस छिड़ी हुई है। इस जनमत संग्रह के परिणाम तख्तापलट कर सत्ता में आए नेता के लिए राष्ट्रपति पद की दौड़ में उतरने का रास्ता खोल सकते हैं।
आलोचकों का मानना है कि यह कदम सिर्फ सैन्य शासन को वैध ठहराने की रणनीति है। उनका आरोप है कि गिनी सहित पश्चिम और मध्य अफ्रीका के कई देशों में सैन्य सरकारें संवैधानिक ढांचे का इस्तेमाल कर अपनी सत्ता को लंबा करने की कोशिश कर रही हैं।
जनमत संग्रह में लोगों से नए संविधान को मंजूरी देने के लिए कहा गया है। यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो मौजूदा सैन्य नेता को चुनाव लड़ने का अधिकार मिल जाएगा। इससे गिनी की राजनीति में सत्ता संतुलन पूरी तरह बदल सकता है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न खड़े हो सकते हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के जनमत संग्रह का इतिहास बताता है कि यह लोकतंत्र की बहाली के बजाय सैन्य शासन को और मजबूत करने का साधन बन जाते हैं। विरोधी दलों और नागरिक संगठनों ने भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं और इसे जनता की स्वतंत्रता और अधिकारों पर हमला बताया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है। कई देशों ने आशंका जताई है कि यदि गिनी में यह संवैधानिक संशोधन लागू होता है, तो यह पूरे क्षेत्र में लोकतंत्र के लिए नकारात्मक उदाहरण पेश करेगा।
इस तरह, गिनी का यह जनमत संग्रह न केवल देश के भविष्य बल्कि पश्चिम और मध्य अफ्रीका की राजनीतिक स्थिरता के लिए भी अहम साबित हो सकता है।
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