×
 

बाढ़ राहत के नाम पर पाकिस्तान में मुरिदके मुख्यालय फिर से खड़ा कर रहा है लश्कर-ए-तैयबा: सुरक्षा एजेंसियां

सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान में बाढ़ राहत के नाम पर फंड जुटाकर मुरिदके मुख्यालय को फिर से खड़ा कर रहा है, जैसा उसने 2005 भूकंप के बाद किया था।

सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया है कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) पाकिस्तान के मुरिदके स्थित अपने मुख्यालय को फिर से खड़ा करने के लिए ‘बाढ़ राहत कार्यों’ का इस्तेमाल कर रहा है। एजेंसियों के मुताबिक, यह संगठन मानवीय सहायता और राहत कार्यों की आड़ में धन इकट्ठा कर रहा है, जबकि असल उद्देश्य आतंकवादी ढांचे को फिर से मजबूत करना है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा की यह रणनीति कोई नई नहीं है। वर्ष 2005 के विनाशकारी भूकंप के दौरान भी इसी तरह का तरीका अपनाया गया था। उस समय संगठन ने अपनी फ्रंटल इकाई जमात-उद-दावा (JuD) के माध्यम से बड़ी मात्रा में फंड इकट्ठा किया था। अनुमान है कि जुटाए गए कुल फंड का लगभग 80% हिस्सा आतंकवादी ढांचे को मजबूत करने में खर्च किया गया था।

मुरिदके मुख्यालय लश्कर की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इसे कई बार आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के तहत निशाना बनाया गया है, लेकिन संगठन लगातार नए-नए तरीकों से खुद को पुनर्जीवित करता रहा है। सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि इस बार भी राहत और पुनर्वास कार्यों की आड़ में धन इकट्ठा कर लश्कर अपनी पुरानी रणनीति दोहरा रहा है।

और पढ़ें: भारत को खाद्य उत्पादन में विविधता लाने के लिए अधिक निवेश करने की ज़रूरत: FAO मुख्य अर्थशास्त्री

भारत ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ यह मुद्दा उठाया है कि वहां की जमीन आतंकी संगठनों के सुरक्षित ठिकाने बनी हुई है। ऐसे हालात में यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है।

सुरक्षा एजेंसियों ने आगाह किया है कि यदि इस तरह की फंडिंग और गतिविधियों पर सख्त रोक नहीं लगाई गई तो लश्कर-ए-तैयबा फिर से क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

और पढ़ें: 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान’ की शुरुआत

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share