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न्यूयॉर्क टाइम्स ने पेंटागन पर केस किया: रक्षा सचिव की नई मीडिया नीति के खिलाफ कानूनी लड़ाई

न्यूयॉर्क टाइम्स ने पेंटागन की नई मीडिया नीति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए अदालत में चुनौती दी। नियमों से मुख्यधारा मीडिया को बाहर कर दिया गया, जिससे विवाद बढ़ गया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने पेंटागन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जिसमें रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा लागू किए गए नए मीडिया नियमों को चुनौती दी गई है। इन नियमों के चलते अधिकतर मुख्यधारा मीडिया संस्थानों को पेंटागन परिसर से बाहर कर दिया गया है। अखबार का कहना है कि ये नियम संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्यायिक प्रक्रिया के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि इससे हेगसेथ को मनमर्जी से किसी भी पत्रकार को प्रतिबंधित करने की शक्ति मिल जाती है।

न्यूयॉर्क टाइम्स सहित कई प्रमुख मीडिया संस्थान इन नियमों को मानने के बजाय पेंटागन छोड़कर बाहर आ गए। अब पेंटागन प्रेस रूम में मुख्य रूप से वे कंज़र्वेटिव मीडिया मौजूद हैं जिन्होंने नियम स्वीकार कर लिए। मंगलवार को ऐसे ही संगठनों ने पेंटागन प्रेस सचिव के साथ ब्रीफिंग में हिस्सा लिया।

टाइम्स के प्रवक्ता चार्ल्स स्टैडलैंडर ने कहा कि यह नीति सरकार को अप्रिय रिपोर्टिंग पर नियंत्रण का प्रयास है। मामला 4 दिसंबर 2025 को वॉशिंगटन की जिला अदालत में दायर किया गया। पेंटागन ने मुकदमे पर तत्काल टिप्पणी नहीं की।

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प्रेस क्रेडेंशियल खोने के बावजूद बाहर किए गए मीडिया संस्थान सैन्य मामलों पर रिपोर्टिंग जारी रखे हुए हैं। हाल के दिनों में उन्होंने उन खबरों को प्रमुखता से उठाया जिनमें ड्रग तस्करों की नावों पर हुए विवादित हमलों में हेगसेथ की भूमिका पर सवाल उठे थे।

न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि पेंटागन की पहुंच न मिलने से पत्रकारों की कार्यक्षमता बाधित होती है। नई नीति के तहत हेगसेथ उन रिपोर्टरों को भी बाहर कर सकते हैं जिनकी खबरें उन्हें पसंद नहीं, भले ही वे गोपनीय सूचनाओं से संबंधित न हों। इसका पत्रकारिता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

पेंटागन का तर्क है कि यह नीति “कॉमन सेंस” सुरक्षा नियम है। प्रेस सचिव किंग्सले विल्सन ने कहा कि अमेरिकी लोग “प्रोपेगंडिस्ट” मीडिया पर भरोसा नहीं करते, इसलिए पुराने मीडिया मॉडलों की जरूरत नहीं।

AP, वॉशिंगटन पोस्ट और CNN जैसे कई बड़े संस्थानों को भी ब्रीफिंग में प्रवेश से रोका गया। न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया कि यह विचारधारा आधारित भेदभाव है। केस न्यूयॉर्क टाइम्स और उसके रिपोर्टर जूलियन ई. बार्न्स की ओर से दायर किया गया है।

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