लोकतंत्र को जीवित रखने वाली शक्ति प्रेस ही है: स्टालिन
स्टालिन ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर कहा कि लोकतंत्र में संस्थाएं कमजोर पड़ सकती हैं, लेकिन स्वतंत्र प्रेस ही लोकतंत्र को जीवित रखता है। उन्होंने निर्भीक पत्रकारों की साहसपूर्वक भूमिका की सराहना की।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर रविवार (16 नवंबर 2025) को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में संस्थाएं सत्ता में बैठे लोगों द्वारा दबाई जा सकती हैं या प्रभावित की जा सकती हैं, लेकिन प्रेस वह शक्ति है जो लोकतंत्र को जीवित रखती है।
स्टालिन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “#NationalPressDay पर मैं हर उस पत्रकार की सराहना करता हूँ जो केंद्र की भाजपा सरकार के अधिनायकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है और उसकी विफलताओं, भ्रष्टाचार और छल को साहस के साथ उजागर करता रहता है।”
उन्होंने कहा कि स्वतंत्र प्रेस किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है, क्योंकि यह जनता और सत्ता के बीच एक मजबूत पुल का काम करता है। जब सरकारी तंत्र या संस्थाएं दबाव में आ जाती हैं, तब प्रेस ही वह माध्यम है जो सच्चाई को सामने लाता है और शासन को जवाबदेह बनाता है।
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स्टालिन ने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत रह सकता है जब पत्रकार बिना डर के सवाल पूछें और सत्ता की गलतियों पर प्रकाश डालें। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता का पेशा कई चुनौतियों से भरा होता है—राजनीतिक दबाव, ट्रोलिंग, धमकियाँ और फर्जी मामलों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद जो पत्रकार सच्चाई के लिए खड़े रहते हैं, वे लोकतंत्र के असली रक्षक हैं।
उन्होंने मीडिया संगठनों से भी अपील की कि वे अपने पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दें और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए अनुकूल वातावरण बनाए रखें।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर दिया गया स्टालिन का यह संदेश मीडिया स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की आवश्यकता को दोहराता है। यह देश में प्रेस की भूमिका को याद दिलाता है कि सत्ता चाहे किसी भी हाथ में हो, प्रेस की स्वतंत्रता और सच्चाई के प्रति प्रतिबद्धता ही लोकतंत्र को मजबूत रखती है।
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