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भविष्य के नागरिक निर्माण में शिक्षकों की भूमिका सराही गई

डोला श्री बाला वीरांजनेय स्वामी ने कहा कि शिक्षक समाज निर्माण की धुरी हैं। महात्मा फुले और डॉ. कलाम जैसे महान लोग शिक्षण से शुरू कर ऊँचाइयों तक पहुँचे।

शिक्षकों की समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए डोला श्री बाला वीरांजनेय स्वामी ने कहा कि शिक्षक न केवल ज्ञान का संचार करते हैं, बल्कि भविष्य के नागरिकों को दिशा देने का कार्य भी करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महात्मा ज्योतिराव फुले, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और अन्य महान विभूतियों ने शिक्षक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी और समाज की सेवा करते हुए ऊँचाइयों को हासिल किया।

स्वामी ने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन मूल्यों, नैतिकता और सामाजिक उत्तरदायित्व का भी संचार करती है। एक सच्चा शिक्षक अपने विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, अनुशासन और समाज के प्रति कर्तव्यबोध विकसित करता है। यही गुण उन्हें बेहतर नागरिक और जिम्मेदार नेता बनाते हैं।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा प्रणाली में सुधार और शिक्षकों के सम्मान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जब शिक्षक प्रेरित और सशक्त होंगे, तभी वे विद्यार्थियों को सही दिशा दे पाएंगे।

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मंच पर उपस्थित अन्य वक्ताओं ने कहा कि शिक्षक समाज की आत्मा होते हैं। वे न केवल पढ़ाते हैं, बल्कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और सोचने की क्षमता को भी आकार देते हैं। इस अवसर पर कई शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

समारोह का मुख्य संदेश यह रहा कि यदि राष्ट्र को मजबूत बनाना है तो सबसे पहले शिक्षकों को सम्मान और सशक्तिकरण देना आवश्यक है, क्योंकि वे ही भविष्य की नींव रखते हैं।

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