ट्रंप-क्लास: अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने नाम पर नई युद्धपोत श्रृंखला का ऐलान किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नाम पर ‘ट्रंप-क्लास’ युद्धपोतों की घोषणा की, जिन्हें देश के इतिहास के सबसे बड़े और घातक युद्धपोत बताया जा रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (22 दिसंबर, 2025) को भारी हथियारों से लैस युद्धपोतों की एक नई श्रृंखला की घोषणा की, जिसे उनके नाम पर “ट्रंप-क्लास” कहा जाएगा। आमतौर पर यह सम्मान उन नेताओं को दिया जाता है जो पद छोड़ चुके हों, लेकिन ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान ही इस नई श्रृंखला का ऐलान किया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि शुरुआती चरण में “ट्रंप-क्लास” के दो युद्धपोत बनाए जाएंगे, हालांकि भविष्य में इनकी संख्या काफी बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने दावा किया कि ये जहाज “सतही युद्ध के सबसे घातक पोतों में से होंगे” और “देश के इतिहास के सबसे बड़े युद्धपोत” साबित होंगे।
यह घोषणा फ्लोरिडा स्थित उनके मार-ए-लागो निवास पर की गई, जहां उनके साथ पेंटागन प्रमुख पीट हेगसेथ, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और नौसेना सचिव जॉन फेलन मौजूद थे। कार्यक्रम स्थल पर प्रस्तावित हाई-टेक युद्धपोतों की तस्वीरें और मॉडल भी प्रदर्शित किए गए।
और पढ़ें: ट्रंप बोले— वेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो का सत्ता छोड़ना समझदारी होगी
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह कदम अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी चीन के जवाब में उठाया गया है, तो ट्रंप ने इससे इनकार करते हुए कहा, “यह हर किसी के खिलाफ है, सिर्फ चीन के खिलाफ नहीं। हमारे चीन के साथ अच्छे संबंध हैं।”
ट्रंप के अनुसार, इन युद्धपोतों का वजन 30,000 से 40,000 टन के बीच होगा। इन्हें आधुनिक मिसाइलों, तोपों और विकासाधीन हथियार प्रणालियों जैसे लेज़र और हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ये जहाज परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होंगे, जिनमें समुद्र से दागी जाने वाली परमाणु क्रूज़ मिसाइलें शामिल होंगी।
ट्रंप-क्लास जहाज मौजूदा अमेरिकी विध्वंसकों और क्रूज़रों की तुलना में कहीं बड़े होंगे, हालांकि इनका भार 1990 के दशक में सेवानिवृत्त किए गए आयोवा-क्लास युद्धपोतों से कुछ कम होगा।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह नौसेना के साथ मिलकर इन जहाजों के डिजाइन में भी शामिल रहेंगे, क्योंकि वह “सौंदर्य को समझने वाले व्यक्ति” हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका को फिर से एक प्रमुख जहाज निर्माण शक्ति बनाया जाएगा और आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेना सुनिश्चित की जाएगी, जिसमें युद्धपोत अग्रणी भूमिका निभाएंगे।
और पढ़ें: ग्रीनलैंड पर अमेरिकी दावे से बढ़ा विवाद, डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने संप्रभुता पर जताई कड़ी आपत्ति