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राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अमेरिका को ग्रीनलैंड चाहिए: डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने जताई कड़ी आपत्ति

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ग्रीनलैंड की जरूरत बताई। डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह क्षेत्र ग्रीनलैंडवासियों का है और संप्रभुता से समझौता नहीं होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कहा है कि अमेरिका को “राष्ट्रीय सुरक्षा” के लिए ग्रीनलैंड की आवश्यकता है। यह बयान ऐसे समय आया है, जब ग्रीनलैंड के लिए विशेष दूत की नियुक्ति के बाद अमेरिका और डेनमार्क के बीच नया राजनयिक विवाद खड़ा हो गया है। सोमवार (22 दिसंबर, 2025) को फ्लोरिडा के पाम बीच में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने स्पष्ट कहा कि अमेरिका ग्रीनलैंड को खनिज संपदा के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा कारणों से चाहता है।

ट्रंप ने कहा, “अगर आप ग्रीनलैंड के तट को देखें, तो वहां रूसी और चीनी जहाज हर जगह दिखाई देते हैं। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ग्रीनलैंड चाहिए और हमें यह हर हाल में चाहिए।” इससे एक दिन पहले, 21 दिसंबर को ट्रंप ने लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ग्रीनलैंड के लिए विशेष दूत नियुक्त किया था। लैंड्री ने नियुक्ति के तुरंत बाद कहा कि वह डेनिश क्षेत्र को अमेरिका का हिस्सा बनाने की दिशा में काम करेंगे।

इस कदम से डेनमार्क और ग्रीनलैंड में भारी नाराजगी देखी गई। डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन और ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री जेंस-फ्रेडरिक नीलसन ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि ग्रीनलैंड ग्रीनलैंडवासियों का है और किसी अन्य देश द्वारा उसका अधिग्रहण स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, “आप किसी दूसरे देश को अपने में शामिल नहीं कर सकते। हम अपनी क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की अपेक्षा करते हैं।”

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डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन ने इस कदम को “पूरी तरह अस्वीकार्य” बताते हुए अमेरिकी राजदूत को तलब किया। यूरोपीय संघ ने भी डेनमार्क के प्रति पूर्ण एकजुटता जताई। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता अंतरराष्ट्रीय कानून के मूल सिद्धांत हैं।

ग्रीनलैंड की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है। यह उत्तरी अमेरिका और यूरोप के बीच स्थित है और रूस तथा अमेरिका के बीच मिसाइल मार्ग के सबसे छोटे रास्ते पर पड़ता है। यहां दुर्लभ खनिज संसाधन भी मौजूद हैं और बर्फ पिघलने से नए समुद्री मार्ग खुलने की संभावना है।

हालांकि, एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार ग्रीनलैंड के अधिकांश लोग डेनमार्क से स्वतंत्रता तो चाहते हैं, लेकिन अमेरिका का हिस्सा बनने के पक्ष में नहीं हैं। ट्रंप का यह रुख डेनमार्क जैसे नाटो सहयोगी देश के लिए चौंकाने वाला माना जा रहा है, जिसने अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका के साथ मिलकर सैन्य अभियानों में भाग लिया है।

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