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अमेरिका ने कहा वह चीन पर रूस के तेल को लेकर टैरिफ तभी लगाएगा जब यूरोप पहल करेगा।

अमेरिका ने कहा कि वह चीन पर रूस के तेल को लेकर टैरिफ तभी लगाएगा जब यूरोप पहले पहल करेगा। वित्त मंत्री बेसेंट ने यूरोप से सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।

अमेरिकी वित्त मंत्री बेसेंट ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका रूस के तेल आयात को लेकर चीन पर टैरिफ तभी लगाएगा जब यूरोप सबसे पहले इस दिशा में कदम उठाएगा। उनका कहना है कि केवल अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ेगा, जब तक यूरोपीय देश भी इसमें शामिल न हों।

बेसेंट ने यूरोपीय देशों से अपील की कि वे चीन और भारत जैसे देशों पर टैरिफ लगाने पर विचार करें, क्योंकि ये देश रूस से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीद रहे हैं। उनका तर्क है कि इस कदम से रूस की तेल से होने वाली आय में कमी आएगी और यूक्रेन युद्ध के लिए मिलने वाला वित्तीय सहयोग सीमित हो जाएगा।

अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर पहले ही कई बार दबाव बनाने की कोशिश कर चुके हैं। हालांकि, भारत और चीन जैसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता देश अब भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, जिससे मास्को की आय बनी हुई है। यही वजह है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर सीमित हो रहा है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यूरोप और अमेरिका मिलकर चीन और भारत पर टैरिफ लगाते हैं, तो इससे रूस के तेल निर्यात पर गंभीर असर पड़ सकता है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या यूरोप ऐसा कदम उठाने को तैयार है, क्योंकि चीन और भारत उसके लिए बड़े व्यापारिक साझेदार हैं।

अमेरिका की यह शर्त बताती है कि वह अकेले चीन के खिलाफ इस मोर्चे पर नहीं जाना चाहता। फिलहाल सभी की निगाहें यूरोप के रुख पर टिकी हुई हैं।

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