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सुप्रीम कोर्ट ने जीने के अधिकार से ज्यादा पटाखे जलाने के अधिकार को प्राथमिकता दी — अमिताभ कांत

अमिताभ कांत ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि उसने पटाखे जलाने के अधिकार को जीने के अधिकार से ऊपर रखा और दिल्ली की हवा खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है।

जी20 शिखर सम्मेलन के शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि राजधानी की हवा “बुरी तरह बिगड़ चुकी है” और अब केवल “कठोर और निरंतर कार्रवाई” ही दिल्ली को स्वास्थ्य और पर्यावरणीय आपदा से बचा सकती है। कांत ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि अदालत ने “पटाखे जलाने के अधिकार को जीने और सांस लेने के अधिकार से ऊपर रखा है।”

यह बयान उस समय आया जब दिवाली के बाद दिल्ली जहरीली धुंध की चादर में लिपटी रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 तक पहुंच गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में पटाखे फोड़ने पर लगी पाबंदी हटाते हुए कहा था कि लोग “ग्रीन क्रैकर्स” का सीमित उपयोग कर सकते हैं। अदालत ने यह भी कहा था कि वह दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए “संतुलित दृष्टिकोण” अपना रही है। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में आधी रात के बाद भी पटाखे जलते देखे गए।

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कांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “दिल्ली की हवा तबाही की स्थिति में है। 38 में से 36 निगरानी केंद्र ‘रेड जोन’ में हैं, AQI 400 से ऊपर है। सुप्रीम कोर्ट ने जीने और सांस लेने के अधिकार पर पटाखे जलाने का अधिकार चुना है। यदि लॉस एंजेलिस, बीजिंग और लंदन प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते हैं, तो दिल्ली क्यों नहीं?”

उन्होंने कहा कि फसल जलाने पर रोक, कोयला संयंत्रों और ईंट भट्टों के आधुनिकीकरण, परिवहन के विद्युतीकरण और निर्माण स्थलों पर सख्त धूल नियंत्रण जैसे कदम तुरंत लागू किए जाने चाहिए ताकि दिल्ली फिर से नीला आसमान और स्वच्छ हवा पा सके।

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