अमोल पालेकर की नाटकों पर पूर्व-सेंसरशिप के खिलाफ याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई अगले महीने
अमोल पालेकर की याचिका पर बॉम्बे उच्च न्यायालय दिसंबर में सुनवाई करेगा, जिसमें नाटकों पर महाराष्ट्र स्टेट परफॉर्मेंस स्क्रूटनी बोर्ड द्वारा पूर्व-सेंसरशिप के नियमों की वैधता पर निर्णय होगा।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने गुरुवार (6 नवंबर 2025) को कहा कि वह दिसंबर में अभिनेता अमोल पालेकर की याचिका पर सुनवाई करेगा। पालेकर ने यह याचिका नाटकों और ड्रामों की पटकथाओं पर पूर्व-सेंसरशिप को अनिवार्य बनाने वाले नियमों के खिलाफ दायर की है, जिन्हें उन्होंने कलात्मक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया।
अमोल पालेकर के वकील अनिल अंतुरकर ने न्यायमंडल के न्यायाधीश रियाज़ चागला और फरहान दुबाश से याचिका को सुनवाई के लिए जल्द उठाने का अनुरोध किया। पालेकर अब 85 वर्ष के हैं और वह याचिका का कोई न कोई परिणाम चाहते हैं। अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
अंतुरकर ने कहा कि मुद्दा केवल यह है कि क्या बॉम्बे पुलिस अधिनियम की धारा 33(1)(वा) के तहत पुलिस के पास नाटकों और नाट्य प्रस्तुतियों पर पूर्व-सेंसरशिप का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि अब के समय में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कोई सेंसरशिप नहीं है।
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सितंबर 2017 में उच्च न्यायालय ने पालेकर की याचिका को स्वीकार किया था, लेकिन तब से इसे अंतिम सुनवाई के लिए नहीं लिया गया। याचिका में उन्होंने महाराष्ट्र स्टेट परफॉर्मेंस स्क्रूटनी बोर्ड द्वारा नाटकों की पटकथाओं पर पूर्व-सेंसरशिप को अनिवार्य बनाने वाले नियमों को ‘मनमाना’ और भारतीय संविधान के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
इन नियमों के अनुसार, सार्वजनिक मनोरंजन स्थलों और मेलों, तमाशों समेत प्रदर्शन के लिए, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता और नैतिकता के हित में पहले से स्क्रिप्ट की जांच अनिवार्य है। इसके बाद ही संबंधित प्रदर्शन के लिए प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, जिसमें कुछ शर्तें भी होती हैं।
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