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विपक्ष के नेता का दर्जा: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट चार हफ्तों में सुनेगा जगन मोहन रेड्डी की याचिका

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने जगन मोहन रेड्डी की विपक्ष के नेता के दर्जे से जुड़ी याचिका पर चार हफ्तों बाद सुनवाई तय की। रेड्डी ने स्पीकर के आदेश को अवैध बताया।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी की उस याचिका पर सुनवाई चार हफ्तों बाद निर्धारित की है, जिसमें उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को चुनौती दी है। यह आदेश 5 फरवरी 2025 को पारित हुआ था, जिसमें उन्हें विधानसभा में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition - LoP) के रूप में मान्यता देने से इंकार कर दिया गया था।

रेड्डी ने अपनी याचिका में दलील दी है कि स्पीकर का यह फैसला पूरी तरह से अवैध और संविधान के खिलाफ है। उनके अनुसार, विपक्ष के नेता का पद न केवल राजनीतिक महत्व रखता है बल्कि यह विधानसभा की कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी पार्टी को विधानसभा में पर्याप्त संख्या में सीटें प्राप्त हैं, जिसके आधार पर उन्हें स्वतः विपक्ष के नेता का दर्जा मिलना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और स्पीकर ने राजनीतिक दबाव में आकर यह निर्णय लिया है, ताकि विपक्ष की भूमिका कमजोर की जा सके।

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हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार और विधानसभा सचिवालय से जवाब तलब किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी और तब तक दोनों पक्ष अपनी दलीलें लिखित रूप में पेश करेंगे।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत रेड्डी के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो यह राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। वहीं, सरकार का पक्ष है कि स्पीकर का निर्णय संवैधानिक दायरे में है और उसमें किसी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है।

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