सेना में ड्रोन का विस्तार: हर जवान बनेगा ड्रोन ऑपरेटर
भारतीय सेना ने ड्रोन तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने की शुरुआत की है। अब हर सैनिक को ड्रोन संचालन सिखाया जाएगा, ताकि युद्धक्षेत्र में उसकी निगरानी और आक्रमण क्षमता बढ़ सके।
भारतीय सेना ने युद्धक क्षमताओं को और अधिक आधुनिक और प्रभावी बनाने के लिए ड्रोन तकनीक पर बड़ा कदम उठाया है। सेना अब इस दिशा में काम कर रही है कि आने वाले समय में प्रत्येक सैनिक केवल हथियार से ही नहीं, बल्कि ड्रोन से भी लैस होगा। ड्रोन को ‘सैनिक की आँख, कान और ताकत’ के रूप में विकसित करने की रणनीति अपनाई जा रही है।
इस पहल के तहत सेना ने प्रशिक्षण व्यवस्था को संस्थागत रूप दिया है। सैनिकों को ड्रोन संचालन की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे न केवल लड़ाई के दौरान, बल्कि निगरानी और खुफिया गतिविधियों में भी प्रभावी भूमिका निभा सकें। इससे सैनिकों को दुश्मन की गतिविधियों को दूर से देखने, लक्ष्य साधने और अधिक सटीक आक्रमण करने की क्षमता मिलेगी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, सेना ने अपने बल संरचना (force structure) में भी बदलाव शुरू कर दिया है, ताकि ड्रोन तकनीक का व्यापक उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। यह केवल आर्टिलरी या इंजीनियरिंग कोर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पैदल सेना से लेकर विशेष बलों तक, हर जवान ड्रोन से परिचित और सक्षम होगा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारतीय सेना को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगी, क्योंकि आधुनिक युद्धक्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन जैसी तकनीक निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। छोटे पोर्टेबल ड्रोन सैनिकों को खतरनाक इलाकों में जाने से पहले बेहतर स्थिति की जानकारी देंगे, जिससे जान का जोखिम कम होगा।
कुल मिलाकर, सेना का यह प्रयास दिखाता है कि भविष्य का भारतीय सैनिक केवल परंपरागत हथियार नहीं, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी अत्याधुनिक और बहुआयामी युद्धक क्षमता वाला होगा।
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