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परमाणु पनडुब्बी शिपयार्ड पर 8 अरब डॉलर खर्च करेगा ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया ने 8 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से परमाणु पनडुब्बी शिपयार्ड बनाने की घोषणा की। यह निवेश चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच लंबी दूरी की क्षमता बढ़ाने हेतु है।

ऑस्ट्रेलिया ने अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने घोषणा की है कि वह परमाणु पनडुब्बियों के लिए एक आधुनिक शिपयार्ड सुविधा पर 8 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 66,000 करोड़ रुपये) खर्च करेगी। यह निवेश देश की सैन्य पुनर्गठन योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लंबी दूरी तक हमले की क्षमता को बढ़ाना और क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह शिपयार्ड सुविधा ऑस्ट्रेलिया की ऐतिहासिक सुरक्षा साझेदारी ऑकस (AUKUS) के तहत विकसित की जाएगी। इस साझेदारी में अमेरिका और ब्रिटेन भी शामिल हैं, जो ऑस्ट्रेलिया को उन्नत परमाणु पनडुब्बी तकनीक उपलब्ध करा रहे हैं। परियोजना के पूरा होने पर ऑस्ट्रेलिया एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी नौसैनिक शक्ति को काफी हद तक बढ़ा सकेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन द्वारा प्रशांत महासागर में तेजी से बढ़ती सैन्य गतिविधियों और विस्तारवादी रणनीति ने ऑस्ट्रेलिया और उसके सहयोगियों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में यह निवेश ऑस्ट्रेलिया को न केवल सामरिक बढ़त देगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगा।

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ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि यह निर्णय आने वाले दशकों के लिए देश की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और नौसैनिक बलों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करेगा। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर रक्षा खर्च से सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों पर दबाव बढ़ सकता है।

इसके बावजूद, सरकार का कहना है कि बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में यह निवेश आवश्यक है और यह ऑस्ट्रेलिया को संभावित खतरों से निपटने में सक्षम बनाएगा।

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