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पोलावरम परियोजना से ओडिशा के आदिवासियों को खतरे की आशंका, बीजेडी ने जनजातीय मंत्रालय से लगाई गुहार

बीजेडी ने पोलावरम परियोजना से ओडिशा के आदिवासियों को खतरा बताते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की। पार्टी ने पहले ही केंद्रीय मंत्रियों और जल आयोग को चिंताएँ जताई थीं।

बीजू जनता दल (बीजेडी) ने केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) से पोलावरम परियोजना को लेकर हस्तक्षेप करने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि यह बहुउद्देशीय परियोजना ओडिशा के मलकानगिरी जिले में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।

बीजेडी नेताओं का आरोप है कि पोलावरम बांध के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा और आदिवासियों की आजीविका, संस्कृति तथा पारंपरिक जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह परियोजना केवल आंध्र प्रदेश ही नहीं बल्कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगी।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पहले ही अपनी चिंताएँ जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल और केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष को नई दिल्ली में अवगत करा दी थीं। उनका कहना है कि केंद्र को इस परियोजना के प्रभावों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और प्रभावित क्षेत्रों के लिए वैकल्पिक योजनाएँ बनानी चाहिए।

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बीजेडी ने मांग की है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय इस मामले को प्राथमिकता से देखे और यह सुनिश्चित करे कि आदिवासियों के अधिकार, भूमि और आजीविका सुरक्षित रहें। पार्टी नेताओं ने कहा कि पोलावरम परियोजना के तहत यदि जलस्तर बढ़ा तो मलकानगिरी के कई गांव डूब क्षेत्र में आ सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेडी लगातार इस मुद्दे को उठाकर केंद्र पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि परियोजना के प्रभाव से ओडिशा के आदिवासियों की रक्षा की जा सके।

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