पुश बैक जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा गंभीर मुद्दा: कलकत्ता हाई कोर्ट
कलकत्ता हाई कोर्ट ने ‘पुश बैक’ को जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताया। सुनाली बीबी और परिवार को सीमा पार भेजने पर अदालत ने केंद्र और राज्य से जवाब मांगा।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने ‘पुश बैक’ की कार्रवाई को व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा अत्यंत गंभीर मुद्दा बताया है। अदालत ने कहा कि किसी भी नागरिक या व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध देश की सीमा पार भेजना न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह मानवाधिकार के सिद्धांतों के भी विपरीत है।
यह टिप्पणी उस मामले में आई है जिसमें पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के पैकर निवासी सुनाली बीबी, उनके पति दानिश और आठ वर्षीय पुत्र को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लेने के बाद 26 जून को सीमा पार कराकर बांग्लादेश भेज दिया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि सुनाली बीबी आठ माह की गर्भवती हैं। परिवार को इस तरह ‘पुश बैक’ करने की घटना ने सामाजिक और कानूनी दोनों हलकों में गंभीर चिंता पैदा कर दी है।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि यह घटना न केवल अवैध है, बल्कि एक गर्भवती महिला और नाबालिग बच्चे के जीवन को गंभीर खतरे में डालती है। अदालत ने भी माना कि ऐसे मामलों में संवैधानिक गारंटियों, विशेषकर जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है।
और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट को अवैध निर्माण पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया
मानवाधिकार संगठनों ने भी इस प्रकरण पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि ‘पुश बैक’ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों का उल्लंघन है। उन्होंने मांग की है कि इस घटना की न्यायिक जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और स्पष्ट किया है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।
और पढ़ें: राजस्थान में दो वर्षों में 20 हिरासत मौतें, मानवाधिकार संगठनों ने जताई चिंता