बाल दिवस: प्यार और प्रकृति की जरूरत—दिल्ली के ऑटिज़्म स्कूलों में बच्चों का अनोखा दिन
दिल्ली के हिगाशी और इंडिया ऑटिज़्म सेंटर में बाल दिवस पर शांत, प्रकृति-आधारित वातावरण में बच्चों के संवेदनशील विकास पर जोर दिया गया, जहां हर बच्चे को प्यार और समझ मिलती है।
बाल दिवस 2025 के अवसर पर जहां सामान्य स्कूलों में बच्चों की चहल-पहल, हंसी-ठिठोली और भागदौड़ से भरा माहौल देखने को मिलता है, वहीं दिल्ली की हरी-भरी शांत वादियों में दो विशेष संस्थान—हिगाशी ऑटिज़्म स्कूल (HAS) और इंडिया ऑटिज़्म सेंटर (IAC) —एक अलग ही अनुभव का संसार रचते हैं।
सामान्य स्कूलों में गलियारों में बच्चों के कदमों की आवाज़ गूंजती है। कक्षाओं के बीच दौड़ते विद्यार्थी, दोस्तों से मिलती हंसी, शिक्षकों के आसपास जमा समूह—सब कुछ एक परिचित रफ्तार और ऊर्जा का हिस्सा होता है। यह रोज़ का दृश्य किसी अनुष्ठान जैसा लगता है।
लेकिन HAS और IAC में माहौल बिल्कुल अलग है—यहां शोर नहीं, बल्कि शांति है। यहां बच्चों के हर कदम, हर नज़र और हर प्रतिक्रिया में एक विशेष संवेदनशीलता दिखाई देती है। यह ऐसा है जैसे हर गतिविधि ध्यानपूर्वक कोरियोग्राफ की गई हो, जिसका उद्देश्य बच्चों को सुरक्षा, सहजता और प्रकृति से जुड़ाव का अनुभव देना है।
और पढ़ें: केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय: भारत के समान शिक्षा दृष्टिकोण के स्तंभ
इन स्कूलों में बच्चों की दिनचर्या में प्रकृति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पेड़ों के बीच सैर, खुले वातावरण में सीखना और शांत परिवेश उन्हें अपनी गति से विकसित होने का मौका देता है। शिक्षक उनकी जरूरतों को समझते हुए उन्हें एक ऐसा माहौल प्रदान करते हैं जहां वे बिना दबाव के सीख सकें, स्वयं को व्यक्त कर सकें और आत्मविश्वास बढ़ा सकें।
ऑटिज़्म से ग्रस्त बच्चों के लिए यह संस्थान सिर्फ स्कूल नहीं, बल्कि एक ऐसा आश्रय है जहां प्यार, धैर्य और प्रकृति का साथ उन्हें बेहतर सीखने और खुश रहने का मौका देता है। बाल दिवस पर उनकी यह अनोखी दुनिया हमें याद दिलाती है कि हर बच्चे को सिर्फ प्यार और सही माहौल की जरूरत होती है।