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दिल्ली कार ब्लास्ट में मौतों का आंकड़ा 15 पहुँचा

दिल्ली कार ब्लास्ट में मरने वालों की संख्या 15 हो गई है। जांच में हथियारों की खरीद, फंडिंग और भर्ती से जुड़ा संगठित आतंकी मॉड्यूल सामने आया है।

दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट मामले में मौतों का आंकड़ा बढ़कर 15 हो गया है। पुलिस के मुताबिक, दो घायलों ने रविवार और सोमवार को दम तोड़ा, जिनमें से एक की पहचान विनय पाठक के रूप में हुई। कुल मृतकों में तीन आंशिक मानव अवशेष भी शामिल हैं।

जांच में सामने आया है कि यह धमाका एक संगठित आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा था, जिसके केंद्र में डॉ. उमर उन नबी था। सुरक्षा एजेंसियों ने पुष्टि की है कि वही विस्फोटकों से भरी कार चलाकर लाल किले के पास ले गया था। फॉरेंसिक डीएनए टेस्टिंग ने भी उसकी पहचान सुनिश्चित कर दी है।

एजेंसियों को इस मॉड्यूल की संरचना, एनक्रिप्टेड चैट ग्रुप्स और हथियारों की आवाजाही के पुख्ता सबूत मिले हैं। करीब तीन महीने पहले उमर ने विशेष कैरेक्टर्स वाले नाम से एक Signal ग्रुप बनाया था, जिसमें उसने मुज़म्मिल, अदील, मुज़फ़्फर और इरफ़ान को जोड़ा था। यही ग्रुप आंतरिक समन्वय का मुख्य माध्यम था।

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एक बड़ा सुराग तब मिला जब अधिकारियों ने डॉ. शाहीन की कार से क्रिन्कोव राइफल और पिस्टल बरामद की। जांच में खुलासा हुआ कि ये हथियार 2024 में उमर ने खरीदकर इरफ़ान को सौंपे थे। शाहीन इस मॉड्यूल को सबसे अधिक आर्थिक सहायता देने वाली सदस्य भी बताई जा रही है।

जांच में यह भी सामने आया कि मॉड्यूल के भीतर जिम्मेदारियां साफ बंटी हुई थीं—फंडिंग डॉक्टरों के जिम्मे, जबकि कश्मीरी युवाओं की भर्ती की जिम्मेदारी इरफ़ान उर्फ मुफ़्ती को दी गई थी। उसने आरिफ निसार डार और यासिरुल अशरफ को जोड़ा, जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।

हथियारों की गतिविधियों के कई उदाहरण दर्ज किए गए हैं। 2023 में अदील और उमर कई बार राइफल लेकर इरफ़ान से मिले। बाद में मुज़म्मिल और शाहीन भी इन मुलाकातों में शामिल होते रहे। हथियार की सफाई, रख-रखाव और ट्रांसफर का काम बेहद व्यवस्थित तरीके से किया जा रहा था।

इधर, अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने उमर और मुज़म्मिल से किसी भी प्रकार की संस्थागत संबद्धता से इंकार किया है और कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में कोई संदिग्ध पदार्थ नहीं रखा गया है।

10 नवंबर को हुए इस धमाके में शुरुआती तौर पर 12 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई घायल हुए थे। बढ़ता सबूत यह दिखाता है कि यह मॉड्यूल फंडिंग, भर्ती और हथियारों के नेटवर्क को गुप्त चैनलों के जरिए चला रहा था।

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