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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में 7 से 9 अक्टूबर के बीच पहला क्लाउड सीडिंग परीक्षण

दिल्ली में 7 से 9 अक्टूबर के बीच पहला क्लाउड सीडिंग परीक्षण होगा। इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना और राजधानी की हवा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

दिल्ली में 7 से 9 अक्टूबर के बीच पहला क्लाउड सीडिंग परीक्षण किया जाएगा। इसका उद्देश्य राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण और धुंध की समस्या से निपटना है। यह प्रयोग वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

क्लाउड सीडिंग एक तकनीक है जिसमें बादलों में रासायनिक पदार्थों का स्प्रे किया जाता है, ताकि वर्षा बढ़ाई जा सके। इससे वायु में मौजूद धूल और प्रदूषक कण बारिश के माध्यम से जमीन पर आकर कम हो जाते हैं। दिल्ली में यह पहला अवसर है जब इस तकनीक का परीक्षण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (DPCC) और मौसम विभाग ने इस परियोजना की योजना बनाई है। अधिकारियों के अनुसार, अक्टूबर का समय चुना गया है क्योंकि इस दौरान मौसम में बदलाव और हवा की गति ऐसी होती है कि क्लाउड सीडिंग अधिक प्रभावी साबित हो सकती है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि यह परीक्षण वायु गुणवत्ता में अस्थायी सुधार ला सकता है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करना आवश्यक है। उन्होंने जोर दिया कि यह एक सहायक उपाय है, जिसे अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपायों के साथ लागू किया जाएगा।

राजधानी में वायु प्रदूषण की समस्या हर साल गंभीर होती जा रही है, खासकर शीतकाल में। क्लाउड सीडिंग से उम्मीद जताई जा रही है कि इसके प्रभाव से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कुछ हद तक कम किया जा सके।

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