विजयवाड़ा में डायरिया पर नियंत्रण के लिए सख़्त उपायों की मांग
विजयवाड़ा में 16 महीनों में दूसरी बार डायरिया का प्रकोप हुआ। पीएवी ने जलापूर्ति और स्वच्छता की खामियों को जिम्मेदार ठहराते हुए स्थायी समाधान के लिए सख़्त कदमों की मांग की।
विजयवाड़ा शहर में डायरिया के मामलों में अचानक वृद्धि ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। नागरिक संगठनों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सरकार से तत्काल और पर्याप्त कदम उठाने की मांग की है ताकि स्थिति नियंत्रण में लाई जा सके।
जानकारी के अनुसार, पिछले 16 महीनों में यह दूसरी बार है जब विजयवाड़ा में डायरिया का प्रकोप सामने आया है। स्थानीय संगठन पीएवी (PAV) ने कहा कि बार-बार इस तरह की समस्या उत्पन्न होना साफ़ दर्शाता है कि जल आपूर्ति और स्वच्छता व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि दूषित पानी और साफ़-सफाई की कमी इस बीमारी के मुख्य कारण हैं। कई क्षेत्रों से शिकायतें आई हैं कि पीने का पानी पर्याप्त रूप से शुद्ध नहीं है और नालियों की सफाई में लापरवाही बरती जा रही है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ गया है।
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स्वास्थ्य विभाग ने आपात कदम उठाते हुए प्रभावित इलाकों में मेडिकल टीमों को तैनात किया है। साथ ही, पीने के पानी की गुणवत्ता की जांच और क्लोरीनेशन की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है। नगर निगम ने भी सफाई कर्मियों को चौकसी बढ़ाने और जल स्रोतों को सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।
हालांकि, नागरिक संगठनों का मानना है कि केवल अस्थायी कदम उठाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। जब तक शहर की जलापूर्ति प्रणाली को मजबूत और सीवेज प्रबंधन को व्यवस्थित नहीं किया जाता, तब तक इस तरह के प्रकोप दोबारा होते रहेंगे।
विश्लेषकों का कहना है कि यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य संकट है, बल्कि प्रशासनिक ढांचे पर भी सवाल उठाती है। दीर्घकालिक समाधान ही शहर को ऐसी बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं।
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