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डीआरडीओ ने विकसित किए नई पीढ़ी के मानव-पोर्टेबल पनडुब्बी वाहन

DRDO ने डीप लर्निंग तकनीक वाले नए मानव-पोर्टेबल अंडरवाटर वाहन विकसित किए, जो खदानों की पहचान और समुद्री सुरक्षा अभियानों में तेज, स्वचालित और अधिक प्रभावी परिणाम प्रदान करेंगे।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने नई पीढ़ी के मैन-पोर्टेबल ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल्स (MP-AUVs) विकसित करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि ये अत्याधुनिक सिस्टम समुद्री सुरक्षा और खदानों की पहचान जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में बड़ी भूमिका निभाएंगे।

इस सिस्टम में कई स्वायत्त अंडरवाटर वाहन शामिल हैं, जिनमें साइड-स्कैन सोनार और अंडरवाटर कैमरे लगे हुए हैं। ये उपकरण वास्तविक समय में समुद्र के भीतर खदान जैसे खतरनाक ऑब्जेक्ट्स की पहचान करने में सक्षम हैं। इससे नौसेना और अन्य समुद्री सुरक्षा एजेंसियों को पानी के भीतर की परिस्थितियों को बेहतर तरीके से समझने और खतरों का पता लगाने में मदद मिलेगी।

इन AUVs में डीप लर्निंग आधारित टारगेट रिकग्निशन एल्गोरिदम भी लगे हुए हैं, जो किसी संदिग्ध वस्तु की पहचान और वर्गीकरण को स्वचालित रूप से करने में सक्षम हैं। इससे ऑपरेटर के कार्यभार में भारी कमी आती है और मिशन को पूरा करने में लगने वाला समय भी कम हो जाता है।

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DRDO की विशाखापट्टनम स्थित नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL) ने इन आधुनिक वाहनों का विकास किया है। NSTL लंबे समय से नौसैनिक तकनीकों और रक्षा उपकरणों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाती रही है।

नए MP-AUVs हल्के, पोर्टेबल और अत्यधिक सक्षम हैं, जिन्हें एक व्यक्ति द्वारा आसानी से ले जाया जा सकता है। आने वाले वर्षों में इनका उपयोग रक्षा अभियानों के साथ-साथ समुद्री अनुसंधान और आपदा प्रबंधन क्षेत्रों में भी किया जा सकेगा। यह विकास भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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