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हिंदी को आधिकारिक संचार में अनिवार्य बनाने का कोई निर्देश नहीं: सरकार

सरकार ने संसद में स्पष्ट किया कि आधिकारिक संचार में हिंदी को अनिवार्य बनाने का कोई निर्देश नहीं है। संविधान की भाषा नीति के तहत सभी भाषाओं का सम्मान जारी रहेगा।

केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि आधिकारिक संचार में हिंदी को अनिवार्य बनाने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। यह जानकारी संसद में एक लिखित प्रश्न के जवाब में दी गई।

डीएमके सांसद कलानिधि वीरास्वामी ने संसद में सवाल पूछा था कि क्या केंद्र सरकार ने सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों और विभागों में हिंदी को आधिकारिक संचार के लिए अनिवार्य करने का निर्देश जारी किया है। इसके जवाब में सरकार ने कहा कि ऐसा कोई आदेश या निर्देश जारी नहीं किया गया है।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में बहुभाषी संस्कृति का सम्मान करते हुए, सभी सरकारी संचार भारतीय संविधान की भाषा नीति के अनुसार किए जाते हैं। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना और नागरिकों को उनकी मातृभाषा में सरकारी सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराना है।

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आधिकारिक भाषा विभाग के अनुसार, हिंदी का उपयोग प्रोत्साहित जरूर किया जाता है, लेकिन इसे अनिवार्य बनाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों की भाषाई विविधता को देखते हुए केंद्र सरकार सभी भाषाओं का सम्मान करती है।

इस बयान को दक्षिण भारतीय राज्यों में सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है, जहां लंबे समय से हिंदी को अनिवार्य बनाए जाने का विरोध होता रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम देश की भाषाई एकता और विविधता को बनाए रखने में मदद करेगा।

सरकार ने आगे कहा कि सभी केंद्रीय कार्यालयों में स्थानीय भाषाओं और अंग्रेजी का उपयोग जारी रहेगा, ताकि नागरिकों को संवाद में किसी प्रकार की कठिनाई न हो।

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