हर मेडिकल सीट पर सरकार सालाना 30–35 लाख खर्च करती है, समाज के प्रति आपकी जिम्मेदारी बनती है: नड्डा
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार हर मेडिकल सीट पर भारी खर्च करती है, इसलिए छात्रों की समाज के प्रति जिम्मेदारी है। विदेश जाना विकल्प है, लेकिन देश के बुनियादी ढांचे पर शिकायत उचित नहीं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शनिवार को मेडिकल छात्रों से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने की अपील करते हुए कहा कि सरकार हर मेडिकल सीट पर सालाना 30 से 35 लाख रुपये खर्च करती है। उन्होंने कहा कि इस भारी निवेश के कारण मेडिकल छात्रों का यह दायित्व बनता है कि वे देश और समाज को कुछ लौटाएं। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि छात्र यदि विदेश जाना चाहें तो वे स्वतंत्र हैं, लेकिन भारत में बुनियादी ढांचे की कमी को लेकर शिकायत नहीं करनी चाहिए।
लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के 21वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि शिक्षा भले ही जन्मसिद्ध अधिकार हो, लेकिन मेडिकल शिक्षा को उसी तरह नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा कि मेडिकल शिक्षा पर सरकार का खर्च सामान्य शिक्षा की तुलना में कहीं अधिक होता है, इसलिए इस क्षेत्र में पढ़ने वालों से समाज को अपेक्षाएं भी अधिक होती हैं।
नड्डा ने कहा कि देश में मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे केवल व्यक्तिगत लाभ के बारे में न सोचें, बल्कि गरीबों, वंचितों और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की सेवा को भी अपने करियर का हिस्सा बनाएं।
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स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि कई छात्र बेहतर अवसरों की तलाश में विदेश जाना चाहते हैं, जो उनका व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन इसके बाद देश की स्वास्थ्य व्यवस्था या बुनियादी ढांचे को दोष देना उचित नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में भी चिकित्सा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और सरकार इन अवसरों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अपने संबोधन में नड्डा ने युवाओं से नैतिकता, समर्पण और सेवा भावना के साथ चिकित्सा पेशे को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर केवल पेशेवर नहीं होता, बल्कि समाज के लिए उम्मीद और विश्वास का प्रतीक होता है, और यही उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
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