नई H-1B वीज़ा फीस $100,000: सबसे अधिक प्रभावित होंगी युवा भारतीय महिलाएं
अमेरिका की नई H-1B वीज़ा फीस $100,000 से भारतीय महिलाओं पर सबसे अधिक असर पड़ेगा। कम वेतन और लैंगिक असमानता के कारण कंपनियां पुरुष कर्मचारियों को प्राथमिकता दे सकती हैं।
अमेरिका द्वारा हाल ही में H-1B वीज़ा के लिए नई नीति लागू करने के बाद भारतीय आईटी और टेक पेशेवरों के बीच चिंता बढ़ गई है। नई व्यवस्था के तहत अब H-1B वीज़ा के लिए कंपनियों को $100,000 (लगभग 83 लाख रुपये) की भारी-भरकम फीस चुकानी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव का सबसे अधिक असर युवा भारतीय महिलाओं पर पड़ने की संभावना है।
H-1B वीज़ा का उपयोग मुख्य रूप से भारतीय पेशेवर करते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन कम वेतन पाती हैं। इस कारण कंपनियों को लगता है कि महिला कर्मचारियों को अमेरिका भेजना लागत-प्रभावी नहीं रहेगा। नतीजतन, महिलाएं नौकरी के अवसरों से वंचित हो सकती हैं।
इसके अलावा, महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर स्थायित्व और परिवार से जुड़े कारणों से पहले ही अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अब इतनी ऊंची फीस के कारण कंपनियां प्राथमिकता के आधार पर पुरुष कर्मचारियों को चुन सकती हैं, जिससे लैंगिक असमानता और बढ़ सकती है।
और पढ़ें: ट्रंप के एच-1बी वीज़ा शुल्क आदेश पर अमेरिकी वाणिज्य मंडल ने जताई चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत जैसे देशों के आईटी क्षेत्र को भी प्रभावित करेगा। भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाले सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी उद्योग में महिलाएं लगातार अपनी भागीदारी बढ़ा रही हैं। यदि अमेरिकी वीज़ा अवसरों में कमी आती है, तो इसका असर उनके करियर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति पर पड़ सकता है।
इस नीति पर आप्रवासन विशेषज्ञों ने भी सवाल उठाए हैं और इसे प्रतिभाशाली पेशेवरों की आवाजाही पर अनुचित बाधा बताया है।
और पढ़ें: H-1B वीज़ा आवेदन शुल्क बढ़ाने के कदम के पूर्ण प्रभावों का अध्ययन जारी : MEA