ICSSR ने CSDS को कारण बताओ नोटिस जारी किया, निर्वाचन आयोग को बदनाम करने और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में
ICSSR ने CSDS को कारण बताओ नोटिस जारी किया, ECI को बदनाम करने और प्रशासनिक, वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में; बिहार SIR अध्ययन को “मुख्य अनियमितता” बताया गया।
भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) ने सेंट्रल सोशल डेमोग्राफिक स्टडीज (CSDS) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में CSDS पर आरोप लगाया गया है कि उसने निर्वाचन आयोग (ECI) को बदनाम किया है और साथ ही प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त रहा है।
ICSSR ने CSDS से पूछा है कि क्यों उसकी ग्रांट-इन-एड, जो कथित तौर पर कर्मचारियों की तनख्वाह के 90% और प्रशासनिक खर्चों के 50% को कवर करती है, रद्द नहीं की जानी चाहिए। परिषद का यह कदम CSDS पर वित्तीय और प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी को लेकर चिंता व्यक्त करता है।
नोटिस में विशेष रूप से CSDS की बिहार राज्य जनसंख्या रजिस्टर (SIR) अध्ययन का उल्लेख किया गया है, जिसे “महत्वपूर्ण अनियमितता” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ICSSR ने स्पष्ट किया कि इस तरह की अनियमितताओं से न केवल संस्था की विश्वसनीयता प्रभावित होती है, बल्कि सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में पारदर्शिता और जवाबदेही भी खतरे में पड़ती है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि ICSSR की कार्रवाई संस्थाओं को वित्तीय और प्रशासनिक अनुशासन बनाए रखने के लिए एक सशक्त संकेत है। CSDS पर यह दबाव इसके भविष्य के शोध और सरकारी अनुदान पर प्रभाव डाल सकता है।
CSDS को नोटिस का जवाब देने के लिए एक निश्चित समयसीमा दी गई है। जवाब मिलने के बाद ICSSR तय करेगा कि ग्रांट-इन-एड जारी रहेगी या रद्द कर दी जाएगी। इस मामले से भारतीय शोध संस्थाओं में जवाबदेही और वित्तीय निगरानी के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
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