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क्या भारत की विदेश नीति में बदलाव की आहट?

शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन की नजदीकी ने भारत की विदेश नीति में संभावित बदलाव के संकेत दिए। अमेरिका ने इस पर कड़ा रुख अपनाया।

भारत की विदेश नीति को लेकर हाल के दिनों में नए संकेत उभरते दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 सितंबर को तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जहां उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। तीनों नेताओं की साथ में खींची गई तस्वीर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रही और इसे भारत की विदेश नीति में संभावित बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात भारत, चीन और रूस के बीच सामरिक समीकरणों में नई दिशा दिखा सकती है। अमेरिका इस घटनाक्रम से असहज दिखा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस तस्वीर पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियां कीं और भारत पर 50% टैरिफ और रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध जैसे कदमों को और कड़ा कर दिया। साथ ही, उन्होंने यूरोपीय संघ से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया।

हालांकि सप्ताह के अंत तक स्थिति थोड़ी बदली दिखाई दी। मोदी और ट्रंप दोनों ने ही अपने बयानों में कुछ हद तक नरमी दिखाई, जिससे संकेत मिलता है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव के बावजूद संवाद की संभावनाएं बनी हुई हैं।

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कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। एक ओर वह चीन और रूस के साथ सहयोग बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ भी रिश्तों को मजबूत रखने का प्रयास जारी है।

यह घटनाक्रम आने वाले महीनों में भारत की विदेश नीति की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकता है।

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