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फ्रेंच फ्राइज ने बदली किस्मत: कैसे भारत बना आलू निर्यात में महाशक्ति

गुजरात के किसान जितेश पटेल ने कपास की जगह आलू उगाना शुरू किया, जिससे उनकी किस्मत बदल गई और भारत फ्रेंच फ्राइज उत्पादन का एक वैश्विक केंद्र बन गया।

गुजरात के एक किसान परिवार से आने वाले जितेश पटेल की किस्मत तब बदली जब उन्होंने पारंपरिक कपास की खेती छोड़कर आलू उगाना शुरू किया। पहले उनके परिवार की आमदनी कपास से होती थी, लेकिन इसमें मुनाफा बेहद कम था। 2001 और 2002 में आए सूखे ने हालात और खराब कर दिए।

"हमें एहसास हुआ कि अब कुछ ऐसा उगाना होगा जिसे ज्यादा पानी की जरूरत न हो"।

इस सोच के साथ उन्होंने आलू की खेती शुरू की। शुरुआत में उन्होंने सामान्य 'टेबल आलू' उगाए, जो घरों में इस्तेमाल होते हैं। लेकिन इससे भी लाभ बहुत कम हुआ।

तभी गुजरात में फ्रेंच फ्राइज बनाने वाली कंपनियों का आगमन हुआ। 2007 में पटेल परिवार ने औद्योगिक उपयोग वाले खास किस्म के आलू उगाने की शुरुआत की, जिनका इस्तेमाल फ्रेंच फ्राइज बनाने में होता है। यह कदम उनके लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

"तब से हमने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा," पटेल कहते हैं।

आज भारत फ्रेंच फ्राइज के आलू उत्पादन में एक बड़ी ताकत बन चुका है और कई किसान इस बदलाव की वजह से आर्थिक रूप से सशक्त हो चुके हैं। पटेल की कहानी भारत के बदलते कृषि परिदृश्य और किसानों की नवाचारशील सोच का प्रतीक बन गई है।

 

 
 
 
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