2025-26 की पहली छमाही में भारतीय कंपनियों का निवेश 15 साल के उच्चतम स्तर पर
2025-26 की पहली छमाही में भारतीय कंपनियों का निवेश 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा। निजी क्षेत्र ने नेतृत्व किया, जबकि सरकारी और विदेशी निवेश में गिरावट देखी गई।
भारतीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में निवेश के क्षेत्र में उल्लेखनीय उछाल दर्ज किया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, घरेलू कंपनियों द्वारा किए गए नए निवेश लगभग 15 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। यह प्रवृत्ति देश की आर्थिक गतिविधियों में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी को रेखांकित करती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नए प्रोजेक्ट घोषणाओं में निजी कंपनियों ने अग्रणी भूमिका निभाई है। आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश की योजनाएं घोषित की गई हैं। इसके विपरीत, सरकारी क्षेत्र और विदेशी कंपनियों के निवेश में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि नीतिगत स्पष्टता और घरेलू मांग में वृद्धि ने निजी क्षेत्र को नए निवेश के लिए प्रेरित किया है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रवृत्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि निवेश बढ़ने से न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी तेजी से पैदा होंगे। हालांकि, विदेशी निवेश में गिरावट चिंता का विषय है, क्योंकि इससे भारत की वैश्विक पूंजी आकर्षण क्षमता पर प्रश्न उठ सकता है।
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सरकारी निवेश में कमी के पीछे वित्तीय अनुशासन और घाटा नियंत्रण के प्रयासों को कारण बताया जा रहा है। वहीं, विदेशी निवेशक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते सावधानी बरत रहे हैं।
फिर भी, निजी क्षेत्र की बढ़त ने इस कमी को संतुलित किया है और भारत की आर्थिक विकास दर को नई गति देने की उम्मीद जगाई है।
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