मार्च 2026 तक तैयार होगी भारतीय रेल की पहली हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक, 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से होगा ट्रेनों का परीक्षण
भारतीय रेलवे की पहली हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक मार्च 2026 तक तैयार होगी, जहां 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों का परीक्षण किया जाएगा।
भारतीय रेलवे की पहली समर्पित हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक मार्च 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है। यह अत्याधुनिक परीक्षण सुविधा वित्त वर्ष 2025–26 के अंत तक तैयार हो जाएगी, जिसमें ट्रेनों की अधिकतम 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जांच की जाएगी। इस परियोजना को भारतीय रेलवे के अनुसंधान, डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
करीब 967 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक राजस्थान में जोधपुर मंडल के अंतर्गत नावा क्षेत्र में गुढ़ा और थाथाना मीठड़ी के बीच स्थित है। यह स्थान जयपुर से लगभग 70 किलोमीटर दूर है और यह परियोजना उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में आती है।
इस टेस्ट ट्रैक का उद्देश्य भविष्य की तेज रफ्तार और सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों के डिजाइन, सुरक्षा मानकों और तकनीकी क्षमताओं की गहन जांच करना है। अभी तक भारत में ट्रेनों के उच्च गति परीक्षण के लिए सीमित सुविधाएं उपलब्ध थीं, जिससे नई तकनीकों के परीक्षण में चुनौतियां आती थीं। इस नई ट्रैक के शुरू होने से रेलवे को स्वदेशी रूप से विकसित कोच, इंजन, ब्रेकिंग सिस्टम, सिग्नलिंग और ट्रैक संरचना की व्यापक जांच करने में मदद मिलेगी।
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रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक भारत में भविष्य की बुलेट ट्रेन परियोजनाओं और वंदे भारत जैसी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों के विकास में भी अहम भूमिका निभाएगी। इससे न केवल यात्री सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा, बल्कि भारतीय रेलवे वैश्विक मानकों के अनुरूप तकनीक विकसित करने में भी सक्षम होगा।
परियोजना के पूरा होने के बाद भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा, जहां ट्रेनों के लिए समर्पित हाई-स्पीड परीक्षण ट्रैक मौजूद हैं। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में रेलवे के प्रयासों को भी मजबूती देगा।
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