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बंदियों की रिहाई के बाद भी इज़राइल-हमास युद्धविराम में जटिल मुद्दे बरकरार

बंदियों की रिहाई के बावजूद इज़राइल-हमास युद्धविराम अस्थायी है। हमास का निरस्त्रीकरण, ग़ाज़ा पर शासन और फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता जैसे जटिल मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं।

हालांकि इज़राइल और हमास के बीच हालिया संघर्ष के दौरान बंदियों की रिहाई हो गई है, फिर भी युद्धविराम (ceasefire) समझौते के सामने कई जटिल मुद्दे बने हुए हैं। यह समझौता फिलहाल सबसे घातक संघर्ष को रोकने का काम करता है, लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ा सवाल है कि क्या हमास अपने हथियार रखेगा या उसे निरस्त करेगा। इस पर स्पष्टता नहीं है और यह भविष्य की सुरक्षा और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं, ग़ाज़ा पर कौन शासन करेगा और प्रशासनिक नियंत्रण किसके हाथ में होगा, इस पर भी विवाद है।

एक अन्य जटिल मुद्दा है फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता (Palestinian statehood)। यह विषय अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष का मूल प्रश्न बना हुआ है। इस सवाल का समाधान न होने के कारण किसी भी युद्धविराम की लंबी अवधि तक टिकाऊ सफलता पर संदेह है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि फिलहाल समझौता केवल खूनी संघर्ष को अस्थायी रूप से रोकने का काम करता है। यह वार्ता दोनों पक्षों के लिए सांस लेने की जगह दे रही है, लेकिन क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

समझौते की नाजुकता को देखते हुए यह स्पष्ट है कि मानवाधिकारों, सुरक्षा गारंटी और राजनीतिक समाधान जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी आवश्यक होगी।

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