जस्टिस नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति पर कोलेजियम की सिफारिश से असहमति जताई
जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति पर वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का हवाला देते हुए कोलेजियम की सिफारिश से असहमति जताई।
सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में शामिल जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली को सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त करने की सिफारिश पर असहमति दर्ज की है। यह असहमति उस समय सामने आई है जब कोलेजियम ने जस्टिस पंचोली के नाम की सिफारिश की, जबकि उनकी सर्वभारतीय वरिष्ठता सूची में रैंक 57वीं है।
जस्टिस नागरत्ना ने अपने असहमति पत्र में कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के दौरान वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व जैसे पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि ऐसे निर्णय न्यायपालिका की पारदर्शिता और संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कोलेजियम प्रणाली के तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले किए जाते हैं। इस प्रणाली में पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। जस्टिस नागरत्ना इस प्रणाली का हिस्सा होने के नाते अपने विचार लिखित रूप में दर्ज करने वाली पहली महिला न्यायाधीशों में से एक मानी जा रही हैं।
और पढ़ें: एल्गार परिषद मामला: न्यायमूर्ति सुंदरश ने सुरेंद्र गडलिंग की जमानत याचिका सुनवाई से खुद को अलग किया
जस्टिस पंचोली वर्तमान में एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं और उनके नाम की सिफारिश पर कोलेजियम के अन्य चार सदस्यों ने सहमति जताई है। हालांकि, जस्टिस नागरत्ना का कहना है कि यदि वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को दरकिनार किया गया, तो यह न्यायपालिका में संतुलन और निष्पक्षता के सिद्धांतों को प्रभावित कर सकता है।
इस विवाद ने एक बार फिर न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता और मानदंडों के पालन पर बहस को तेज कर दिया है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह असहमति भविष्य में कोलेजियम प्रणाली में सुधार की दिशा में संकेत दे सकती है।
और पढ़ें: राष्ट्रपति संदर्भ सुनवाई: उच्च संवैधानिक पदों को समयसीमा में बाँधना अनुचित – केंद्र